name plate case
देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों में नाम पट अनिवार्य करने के शासनादेश पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे समाज को विभाजित करने वाला और भेदभावपूर्ण करार दिया है। उन्होंने सरकार से इस आदेश पर तत्काल पुनर्विचार करने और इसे वापस लेने की मांग की है।
राजीव महर्षि ने अपने बयान में कहा कि व्यापार करने वाला कोई भी व्यक्ति नाम बताने में हिचक नहीं करता, लेकिन कांवड़ जैसे पवित्र धार्मिक अवसर को लेकर जबरन यह नियम थोपना संदेहास्पद है और इससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि हाल के वर्षों में एक विशेष समुदाय के आर्थिक बहिष्कार के बयान बार-बार सामने आते रहे हैं, और अब यह आदेश उसी श्रृंखला की एक कड़ी प्रतीत होता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार यही नियम जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्व या अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में भी लागू करना चाहती है? यदि नहीं, तो फिर उत्तराखंड में ही ऐसा आदेश क्यों?
यूसीसी की बात करने वाली भाजपा अलग-अलग राज्यों में अलग नीति कैसे अपना सकती है?— महर्षि ने पूछा।
उन्होंने सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि यदि इस आदेश से किसी समुदाय विशेष के व्यापार पर असर पड़ता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या सरकार इस नुकसान की भरपाई करेगी?
महर्षि ने सरकार पर बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में रोजाना सड़क हादसों में लोग जान गंवा रहे हैं, सैकड़ों सड़कें बंद हैं, और आपदा राहत की सख्त जरूरत है। ऐसे में सरकार को लोगों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, न कि इस तरह के “तुगलकी फरमान” जारी करने चाहिए।
उन्होंने सरकार से समय रहते निर्णय पर पुनर्विचार करने और इसे रद्द करने की अपील की है।