देहरादून, 12 जनवरी, 2021। हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी व सहयोगी संगठन उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन को राष्ट्रीय और अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाकर आर्थिकी से जोड़ने के लिए वर्ष-2021 को गढ़ भोज के रुप में मना रहा है। इसका शुभारंभ 15 जनवरी को राजकीय बालिका इंटर कालेज, राजपुर रोड, देहरादून में किया जायेगा।
राज्य आंदोलन का सूत्र वाक्य रहा ‘कोदा झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे’ ने न सिर्फ एक राज्य के विचार को बल्कि एक ऐसे विचार को भी जन्म दिया था जो मूर्त रूप लेने पर यहा की छोटी जोत वाली कृषि पर आधारित आर्थिकी औश्र बाजार व्यवस्था में छोटे किसानों के उत्पादों की मांग और उपलब्धता गांवों में ही कराकर सुधार ला सकता है।
उत्तराखंड का पारंपरिक भोजन यहां की जलवायु के चलते स्वादिष्ट, पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर है। इसी उद्देश्य से हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी विभिन्न संगठनों के साथ मिल कर उत्तराखंड के पारम्परिक भोजन को पूरे देश में गढ़ भोज नाम से पहचान के लिए प्रयासरत है।
हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी के सचिव द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि यह दुनिया का पहला अभियान होगा जो स्थानीय भोजन को बाजार व पहचान दिलाने के लिए चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज गांव के चूल्हे से लेकर बड़े होटलों के मेन्यू का हिस्सा बन रहा है।
गढ़ भोज अभियान के सदस्य और आगाज फेडरेशन के अध्यक्ष जे पी मैठाणी ने कहा कि अपने औषधीय गुणों के कारण गढ़ भोज कोरोना के दौर में आमजन की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक हुआ है।