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उत्तराखंड में मातृ स्वास्थ्य के परिणामों में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) ने एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। USAID के SAMVEG परियोजना और जॉन स्नो इंडिया के सहयोग से आयोजित एक कार्यशाला में, भारत में पहली बार फ्रीडम कंसोर्टियम ने प्रसवोत्तर रक्तस्राव (PPH) से निपटने के लिए सार्वजनिक और निजी हितधारकों को एकजुट किया। यह पहल मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए एक ठोस कदम है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि स्वाति एस. भदौरिया, मिशन निदेशक, NHM उत्तराखंड ने PPH की रोकथाम को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हर माँ को सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाली प्रसव सेवाएँ मिलनी चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य विचार-विमर्श से आगे बढ़कर स्वास्थ्य और गैर-स्वास्थ्य क्षेत्रों को एकजुट करना है।
स्वाति ने उत्तराखंड की नवजात मृत्यु दर (NMR) और शिशु मृत्यु दर (IMR) के राष्ट्रीय औसत से बेहतर होने की बात कही, और कहा कि यह सामूहिक प्रतिबद्धता सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने में सहायक होगी। उन्होंने बताया कि राज्य की NMR 17 और IMR 24 है, जो राष्ट्रीय औसत (NMR 20, IMR 28) से बेहतर है।

गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा पर जोर – डॉ. मनु जैन
डॉ. मनु जैन, निदेशक NHM उत्तराखंड ने मातृ स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी हितधारकों की साझा जिम्मेदारी की बात करते हुए कहा कि गर्भवती महिलाओं की मृत्यु निवारणीय कारणों से नहीं होनी चाहिए।
कार्यशाला में, विभिन्न विशेषज्ञों ने PPH से निपटने के लिए रणनीतियाँ साझा कीं, और बर्थ प्लानिंग एवं जटिलता तैयारी (BPCR) कार्ड के विकास पर चर्चा की। यह अभिनव उपकरण गर्भवती महिलाओं को आवश्यक सेवाओं से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
उत्तराखंड में मातृ स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार के लिए NHM की यह पहल निश्चित रूप से एक सकारात्मक दिशा में कदम है, जो राज्य की माताओं और नवजातों के स्वास्थ्य को सुरक्षित बनाने में मदद करेगी।