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देहरादून। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य के सभी जिला सहकारी बैंकों को अगले 100 दिनों के भीतर नेट बैंकिंग सेवाओं को लागू करने का निर्देश दिया है। यह महत्वपूर्ण कदम राज्य सहकारी बैंक द्वारा रिज़र्व बैंक से रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (त्ज्ळै) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फ़ंड ट्रांसफ़र (छम्थ्ज्) सेवाओं के सफल अधिग्रहण के बाद उठाया गया है। डॉ. रावत ने डिजिटल बैंकिंग तकनीकों को अपनाने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इससे परिचालन को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा और ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ प्रदान की जा सकेंगी।
राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के सभागार में आयोजित बैठक में डॉ. रावत ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए बताया कि वह स्वयं जुलाई माह में राज्य के 13 जिलों में सहकारिता विभाग की समीक्षा करने जाएंगे। उन्होंने कहा कि हर जिले में दो सहकारी समितियों का भौतिक निरीक्षण किया जाएगा। इस निरीक्षण अभियान में दो जिलों में सचिव, दो जिलों में रजिस्ट्रार और अन्य 9 जिलों में अपर निबंधक, संयुक्त निबंधक, उप निबंधक मौजूद रहेंगे। इस निरीक्षण अभियान की तिथि जल्द घोषित की जाएगी।
डॉ. रावत ने बताया कि बहुउद्देशीय सहकारी समितियों का भौतिक निरीक्षण इन संगठनों के सामने आने वाली जमीनी हकीकत को समझने की दिशा में एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस निरीक्षण के माध्यम से सहकारिता क्षेत्र की समस्याओं को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।
बैठक के दौरान डॉ. रावत ने अल्पकालिक और मध्यम अवधि के ऋणों की वसूली पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों की वित्तीय सेहत सुनिश्चित करने और उन्हें अपने सदस्यों को सेवाएं प्रदान करना जारी रखने में सक्षम बनाने के लिए ऋणों की समय पर वसूली महत्वपूर्ण है। मंत्री ने सहकारी अधिकारियों को ऋण वितरण और वसूली के मामले में जिम्मेदारीपूर्वक कार्य करने का निर्देश दिया।
डॉ. रावत ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर किए गए किसानों की संख्या की समीक्षा की। यह योजना प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान के खिलाफ किसानों को महत्वपूर्ण बीमा कवरेज प्रदान करती है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होती है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र और प्रधानमंत्री जन सेवा केंद्र (ब्ैब्) जैसी अन्य प्रमुख पहलों की प्रगति की भी समीक्षा की गई। इन योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को किफायती स्वास्थ्य सेवा और आवश्यक सेवाएं प्रदान करना है, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सके।
डॉ. रावत ने माधो सिंह भंडारी संयुक्त सहकारी खेती परियोजना की स्थिति पर भी चर्चा की। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य में सहकारी खेती के तरीकों को बढ़ावा देना और कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है। इसके अलावा, दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना की भी समीक्षा की गई, जो खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और कृषि उपज की बर्बादी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बैठक में सहकारी समितियों द्वारा प्राप्त आयकर नोटिसों पर भी चर्चा की गई। मंत्री ने उचित वित्तीय प्रबंधन और कर नियमों के अनुपालन की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही, पैक्स कम्प्यूटरीकरण और समितियों की ऋण सीमा और उनकी उधार लेने की क्षमता के बीच विसंगति के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। इस पर ध्यान केंद्रित करते हुए ऋण प्रसंस्करण में दक्षता और पारदर्शिता को सुधारने की दिशा में कदम उठाने पर जोर दिया गया।
समीक्षा बैठक में सचिव विनोद कुमार सुमन, रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव आलोक कुमार पांडेय, अपर निबंधक ईरा उप्रेती, आनंद शुक्ल, संयुक्त निबंधक एमपी त्रिपाठी, एमडी यूसीएफ रामन्द्री मंद्रवाल, उप निबंधक कुमाऊँ हरीश चन्द्र खण्डूड़ी, एआर राजेश चौहान, एआर उधम सिंह नगर सुमन कुमार, एआर हरिद्वार पुष्कर सिंह पोखरिया, एआर पौड़ी पान सिंह राणा, सहित सभी जिला सहायक निबंधक, महाप्रबंधक नाबार्ड आलोक गुप्ता, पंकज यादव, कार्यक्रम प्रबन्धक डॉ मनोज शर्मा मौजूद थे।
इसके साथ ही जिला सहकारी बैंकों के प्रशासक/ सीडीओ उत्तरकाशी जयकिशन, अभिषेक त्रिपाठी प्रशासक/ सीडीओ टिहरी, झरना कमठान प्रशासक/ सीडीओ देहरादून, मनीष कुमार प्रशासक/ सीडीओ उधमसिंह नगर, राज्य सहकारी बैंक के एमडी नीरज बेलवाल व सभी डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक के जीएम वीडियो कांफ्रेंस से जुड़े।