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मंगतू कर रहा है, हर घर प्रचार, पहॅुच रहा है क्षेत्र के अंतिम द्वार

every house promotion
Written by Subodh Bhatt

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लेखक: हरीश कंडवाल

मंगतू ने इस बार जिला पंचायत में नामांकन किया है, राजनीति करने के लिए वह दो साल पहले दिल्ली से गॉव आ गया था, और अब गाँव में ही रह रहा था। गॉव में रहते हुए वह हर छोटी बड़ी राजनीति में अपनी भागीदारी निभानी शुरू कर दी थी, इसको देखते हुए कुछ क्षेत्र के ऐसे चकड़ैतों उसको चने के झाड़ में चढ़ाने लगे, रोज उसकी तारीफ करने लगे, उसको लगने लगा कि अब वह राजनीति का खिलाड़ी और सितारा बन चुका है, वह तो गॉव में सिर्फ रहने के लिए आया था, किंतु गॉव में कुछ लोग उसे चुनाव लड़ने को कहने लग, गये और जो प्रधान का चुनाव लड़वाते थे और लड़ना चाहते थे, वह नहीं चाहते थे कि मंगतू प्रधान का चुनाव लड़े, वह उसको झूठे दिलासे दिलाते और कहते कि प्रधान के चक्कर में मत पड़ मेरे भाई, सीधे जिला पंचायत का चुनाव लड़ो, तुम्हारी क्षेत्र में काफी नाम हो गया है, आप फेसबुक और सोशल मीडिया में काफी सक्रिय हो और आपके फॉलोवर्स भी काफी हैं, मंगतू सोशल मीडिया में आने वाले कमेण्ट और लाईक शेयर से काफी खुश रहता। इस तरह मंगतू को लगने लगा कि उसे वास्तव में जिला पंचायत का चुनाव लड़ना चाहिए।

मंगतू ने जब नामांकन कर लिया तो उसके साथ कुछ गॉव के बेरोजगार लड़के और अन्य लोग लग गये जो दिन भर दुकानों में गप्पे मारते या ताश खेलते रहते। उनको भी कोई चाहिए था कि वह भी कुछ इस दौर में फ्री का खा ओर पी ले। दो चार दिन का तमाशा वह भी देख ले। मंगतू के साथ ऐसे स्टार प्रचारक लग गये जिनकी घर में कोई सुनता है, और न ही कोई उनकी बातों को तवज्जो देता है, घर वालों के लिए वह निठल्ला थे, और गॉव वालों के लिए अवारा, किंतु मंगतू के टीम के वह स्टार प्रचारक थे। हर गॉव में मंगतू के साथ वह जाते, मंगतू उनको दुकान मे चाय, पिलाता, दिन का खाना खिलाता और शाम को तो चिकन और दारू की पार्टी चलती। सभी कहते यार मंगतू दा आज बहुत थक गये हैं, पैदल चलते चलते, एक बोतल खोलों यार तब नींद आयेगी।

मंगतू चकड़ैतों की चाल नहीं समझ पाया था, दिल्ली से आया था उसको लग रहा था कि उसके स्टार प्रचारक उसके साथ हैं, बेचारे को यह तक पता नहीं था कि उसके स्टार प्रचारकों के कहने पर तो घर के वोट तक नहीं पड़ने वाले, वह तो सिर्फ खाने पीने और साथ घूमने मौज मस्ती करने वाले बसग्याळ के बौल हैं, जो कुछ समय के लिए हैं।

मंगतू उनके साथ गॉव गॉव जाने लगा प्रचार में स्टार प्रचारक कह रहे थे कि भाई हम पहॅुंचायेगें आपको हर घर के द्वार, हम करेंगे आपका जोर शोर से प्रचार। मंगतू सबको हाथ जोड़कर मिलता। स्टार प्रचारक मंगतू से गॉव के सभी दान सयाणों जैसे काकी बौड़ी को सेवा लगवाते और काकी बौड़ी को मंगतू के सिर पर जबरदस्ती सिर पर हाथ रखवाते, दो चार कैमरामैंन हर एंगल से फोटो लेते और सोशल मीडिया में उसको टैग करते हुए पोस्ट करते।

मंगतू के सामने सभी वोटर कहते हॉ बेटा तुम्हारी जीत पक्की है, उसको ऐसा दिलासा दिलाते कि मंगतू को लगता कि कल ही चुनाव हो जायें, कहीं यह लोग अगले दिन पलट ना जायें, वह उन पर पूरा विश्वास करता। गॉव में सभी मतदाता हर प्रत्याशी को हॉ बोलते सबको ऐसा ही दिलासा दिलाते, लेकिन मंगतू को लगता कि उसकी जीत सुनिश्चित है, जबकि आज का मतदाता बहुत तेज हो गया है, उसकी कोई समझ नहीं आता है तो नोटा दबा लेता है, और चुनाव में सबका खास बन जाता है, प्रत्याशी कितना भी चतुर हो वह अब मतदाता का मन नहीं टटोल पाता है।

मंगतू की रोज की भागादौड़ी से पैर में दर्द होना शुरू हो गया है, देर रात गर्म पानी में सिकाई करता और फिर हर रोज निकल जाता हर गॉव प्रचार करने, स्टार प्रचारक भी साथ चलते, कई बार मंगतू सोचता कि मैने लोगों के कहने पर क्यों नामांकन किया होगा, जैसे ही उसका चेहरा उदास होता उसके स्टार प्रचारक उसको गुब्बारे की तरह फुला देते और वह फिर फूल भी जाता। घर में घरवाली, मॉ बाप यही कहते कि इसकी मति मारी गयी, दिल्ली में अच्छा खासा कमा रहा था यहॉ गाली खाने आ गया है।

मंगतू को अभी चुनाव निशान नहीं मिला है, एक दो दिन में मिल जायेगा फिर सबको चुनाव निशान भी समझाने हैं, स्टार प्रचारक कह रहे हैं,दादा चिंता मत करो, सब हो जायेगा, मंगतू का सब पर विश्वास करना जरूरी है, उसके लिए इस समय वही तारण हार हैं, जिनके पीछे वह लालटेना की झाड़ी को हाथ से हटाकर पार कर रहा है, जिन गॉवा में पैदल रास्ते सब टूट गये हैं, खाळ भ्याळ होकर दोनों हाथ टेककर जा रहा है, दो तीन सफेद सलवार और पैंट तो फिसलने के कारण मिट्टी में सन गये हैं, जिस कारण वह घर में घरवाली की गाली भी खा रहा है, रोज घरवाली गाली दे रही है, अब तुम ही तो बनते हो देश के प्रधानमंत्री, जितना कमाना नहीं उतना समा रहे हो, चकड़ैतों के चक्कर में पड़े हो, इनकी घर में कोई नहीं सुनता उनकी कौन सुनेगा। मंगतू कहता यार साथ में तो किसी ना किसी को लेकर चलना ही है, जो काम काजी लोग हैं, उनके पास समय का अभाव है, यही तो साथ चल सकते हैं, क्योंकि भीड़ नहीं रहेगी तो जनता क्या समझेगी, सबको थोड़ी नहीं मालूम कि इनकी घर में कोई नहीं सुनता है, इनके सोशल मीडिया में काफी दोस्त और फॉलोवर्स हैं, दिन मेरे लिए प्रचार प्रसार कर रहे हैं, सोशल मीडिया में काफी समर्थन मिल रहा है।

अगले दिन मंगतू की ब्वारी ने मंगतू का सोशल मीडिया देखा तो उसके समर्थक दूसरी जगह और बाहर के ज्यादा थे, क्षेत्र के दो चार ही लोग जुडे हुए थे, गॉव के असली मतदाता तो सोशल मीडिया से दूर हैं, अब मंगतू की ब्वारी ने खुद ही जिम्मेदारी संभालने का निर्णय ले लिया है, देखते हैं, मंगतू अपनी स्टार प्रचारकों की टीम के बदौलत कितना सफल होता है।

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