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वन्यजीव संघर्ष से पीड़ित पहाड़: नागरिक संगठन ने की सुरक्षा और मुआवजे की मांग

Increase in wildlife attacks
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देहरादून। नागरिक प्रतिरोध के रूप में हरेला गाँव-धाद और फील गुड़ ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा शाम 6 बजे घंटाघर में इंद्रमणि बडोनी चौक पर प्रदर्शन करते हुए सरकार से एक मांगपत्र जारी किया गया। मांगपत्र मे जंगली जानवरों से मृत्यु पर 25 लाख रूपये का मुआवजा और अभिभावक की मृत्यु की दशा में परिवार को वैकल्पिक रोजगार दिए जाने, घायल व्यक्ति और पशु हानि की दशा में पूर्ण इलाज और क्षतिपूर्ती मुआवजा दिया जाए, प्राथमिकता के आधार पर संवेदनशील गांवों में जालीनुमा तार से ग्राम सुरक्षा घेर बाड़ करने और वन विभाग को उनके अधिकृत क्षेत्र में पर्याप्त पिंजड़े उपलब्ध करवाए जाने आदि मांगे रखी गई।

धाद के अध्यक्ष लोकेश नवानी ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को वन्यजीव और मानव संघर्ष कहना ही गलत है। यह वन्य जीवों द्वारा एक तरफा हमला है जंहा मनुष्य पूर्णता लाचार है। वन्य जीवों की बढ़ती संख्या इकोसिस्टम की दृष्टि से भले ही सुखद लगे पर पहाड़ मे रह रहे मानवों के लिए यह भयावह है क्यूकि मानवों के लिए तो सभी नियम कायदे व कानून है पर जानवर सिर्फ हमला करना जानता है। इसमे सरकार यदि वन्यजीव अधिनियम के अंतर्गत जंगली जीवों को सुरक्षित करना भी चाहती है तो पहाड़ को आबाद रखने वाले मनुष्यों के प्रति भी उनकी जिम्मेदारी है। सरकार को इन घटनाओं की पूर्णतया जिम्मेदारी लेते हुए कानून मे बदलाव और लोगों की व उनके उपयोगी जानवरों की सुरक्षा की ठोस पहल करनी चाहिए।

फीलगुड ट्रस्ट के संस्थापक सुधीर सुंदरियाल ने अपनी बात रखते हुए कहा की सन 2021 से लगातार गुलदार से पहाड़ बचाओ की मुहिम शुरू है। इसके तहत एक 12 सूत्रीय मांगपत्र नेता, पक्ष विपक्ष, शासन प्रशासन हर एक को सौंपा लेकिन अफसोस कि सरकार ने इन मांगों पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। मांग पत्र और प्रदर्शन के बाद जनहानि पर मुआवजा राशि 4 लाख की जगह 6 लाख घोषित की गई और पशु हानि पर 15 हजार से बढाकर 35 हजार तक हुई। लेकिन यह मांगपत्र का कारगर समाधान नहीं है। पहाड़ों में हर रोज कोई न कोई दुःखद घटना अब भी घट रही है। जब सरकार की तरफ से कोई शीघ्र कदम नही उठाया गया तो तब हमारे टीम सदस्य अन्नू पन्त ने गुलदार पर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की, जिसकी सुनवाइयां हाईकोर्ट में चल रही हैं। धाद संस्था इस मुहिम को आगे बढ़ा रही है।

धाद के सचिव तन्मय मंमगाई ने बताया कि रक्षाबंधन मनाने अपने पांच वर्षीय बेटे क साथ मायके आई अर्चना के बेटे को गुलदार उठा कर ले गया। पहाड़ में ये पहली घटना नहीं है। राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक मानव-वन्य जीवन संघर्ष में 1125 से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी हैं। सबसे अधिक जान गुलदार लेता है। वन्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में 3100 से भी अधिक गुलदार, 560 बाघ, 2 लाख गूणी-बांदर और 50 हजार से भी अधिक जंगली सूअर हैं। जब गाँव के पुनर्जीवन के नाम पर तमाम योजनाएं और बजट की घोषणा होती है तब एसी घटनाये उन सब लोगों का हौसला तोड़ देती है जो गाँव में रहकर उसे आबाद किये हुए है।

इस अवसर पर जगमोहन मेंहदीरत्ता, गणेश उनियाल, महावीर रावत, आशा डोभाल, नीना रावत, विजेंद्र रावत, किशन सिंह, साकेत रावत, शुभम, सुभाष नौटियाल, अनु पंत, लक्ष्मण रावत, ठाकुर शेर सिंह संयुक्त नागरिक संगठन आदि मौजूद थे।

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