Gourav Vallabh Resigns
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लिखे पत्र में वल्लभ ने लिखा, कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा. मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहाहूं
कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा.मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता.इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहाहूं pic.twitter.com/Xp9nFO80I6
— Prof. Gourav Vallabh (@GouravVallabh) April 4, 2024
श्री मल्लिकार्जुन खरगे अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नयी दिल्ली
नमस्कार.
भावुक हूं. मन व्यथित है. काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं. लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे. फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता.
महोदय, मैं वित्त का प्रोफेसर हूं. कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया. कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा. लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं.
जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की क़द्र होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती.
पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है. जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मज़बूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है. जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है.
कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा.मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता.इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहाहूं pic.twitter.com/Xp9nFO80I6
— Prof. Gourav Vallabh (@GouravVallabh) April 4, 2024
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माधर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥
अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं. मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं, पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया. पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है.
इन दिनों पार्टी ग़लत दिशा में आगे बढ़ रही है. एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं, यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक ख़ास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है. यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है.
आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है. आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है. देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नज़रिया हमेशा नकारात्मक रहा. क्या हमारे देश में बिज़नेस करके पैसा कमाना गलत है ?
महोदय, जब मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, उस वक्त मेरा ध्येय सिर्फ यही था कि आर्थिक मामलों में अपनी योग्यता अपना व क्षमता का देशहित में इस्तेमाल करूंगा. हम सत्ता में भले नहीं हैं, लेकिन अपने मैनीफेस्टो से लेकर अन्य जगहों पर देशहित में पार्टी की आर्थिक नीति-निर्धारण को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे. लेकिन, पार्टी स्तर पर यह प्रयास नहीं किया गया, जो मेरे जैसे आर्थिक मामलों के जानकार व्यक्ति के लिए किसी घुटन से कम नहीं है. Sill. 64
पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं
कर पा रहा. मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ
क्रिएटर को गाली दे सकता हूं. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से भी
इस्तीफा दे रहा हूं.
व्यक्तिगत रूप से मैं आपसे मिले स्नेह के लिए हमेशा आभारी रहूँगा
शुभकामनाओं सहित,
भवदीय
Gaway प्रो. गौरव वल्लभ
प्रोफेसर,