Delhi High Court Rejects Petition
जेल में बंद आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है। इस याचिका में भी उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की माँग की गई है। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शराब घोटाले में गिरफ्तार किए जाने के बाद सीएम केजरीवाल ने कहा था कि वे अब जेल से ही सरकार चलाएँगे।
हिंदू सेना ने शुक्रवार (29 मार्च 2024) को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाने की माँग की। याचिका में माँग की गई है कि अदालत दिल्ली के उपराज्यपाल विजय कुमार सक्सेना को आदेश दें कि वे अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाएँ।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को दिल्ली को उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली की सरकार चलाना चाहिए। याचिका में हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता ने याचिका में कहा है कि देश के संविधान में ऐसी कोई परिकल्पना नहीं है कि एक मुख्यमंत्री गिरफ्तारी की स्थिति में न्यायिक या पुलिस हिरासत से सरकार चला सके।
याचिका में कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किए गए हैं। उन्हें सार्वजनिक पद पर नहीं रखा जाना चाहिए. याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल गोपनीयता की शपथ लेते हुए मुख्यमंत्री बने हैं। अगर वे जेल से शासन चलाते हैं और अगर कोई फाइल उनके पास जाती है तो वो कई जेल अधिकारियों से होकर गुजरेगी जो उनकी गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन होगा।
याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल ने संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन किया है और उन्हें खुद ही इस्तीफा देना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल का पद पर बने रहना न केवल कानून के शासन में बाधा होगी, बल्कि ये दिल्ली में पूरे तरीके से संवैधानिक मशीनरी का खत्म होने जैसा होगा।
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद वे लोकसेवक के रुप में अपनी जिम्मेदारी का वहन नहीं कर सकते हैं और इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए। बता दें कि दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। आज ही केजरीवाल की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी भी है।
क्या बोला हाई कोर्ट?
कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, ‘यह केजरीवाल का व्यक्तिगत फैसला होगा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहिए या नहीं। कभी-कभी व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन रखना पड़ता है।’
कोर्ट ने ये भी कहा कि याचिका का समाधान उपराज्यपाल या राष्ट्रपति के पास है और याचिकाकर्ता उनसे प्रार्थना कर सकते हैं। कोर्ट की टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।
उपराज्यपाल फैसला लेने में सक्षम- कोर्ट
कोर्ट ने कहा, ‘हम कैसे कह सकते हैं कि सरकार काम नहीं कर रही है। उपराज्यपाल यह फैसला लेने में पूरी तरह सक्षम हैं। उन्हें हमारी सलाह की जरूरत नहीं है। वो कानून के मुताबिक काम करेंगे। इस मामले में उपराज्यपाल या राष्ट्रपति ही सक्षम हैं।’
याचिकाकर्ता ने कहा कि वो अब उपराज्यपाल के समक्ष अपील दायर करेंगे। बता दें कि यह जनहित याचिका हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता की ओर से दायर की गई थी।
कोर्ट ने पहले भी खारिज की थी इसी तरह की याचिका
28 मार्च को भी हाई कोर्ट ने केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की याचिका खारिज कर दी थी।
तब कोर्ट ने कहा था, ‘अगर कोई संवैधानिक विफलता है तो राष्ट्रपति या राज्यपाल इस पर कार्रवाई करेंगे। क्या इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश है? उपराज्यपाल इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं। यह राष्ट्रपति के पास जाएगा। यहां इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।’
ये याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने दायर की थी।