Ram Bagwal on life prestige
देहरादून। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी कार्यकर्ताओं समेत देवभूमिवासियों का आह्वान किया कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वाभिमान के पर्व को राम बग्वाल के रूप मनाये। इसके लिए दिन में पूजा पाठ, भजन कीर्तन और रात में दियों व सजावट से दिवाली की अनुभूति हो। देवभूमि में सभी पक्षों को राजनैतिक एवं सामाजिक द्वेष भाव से ऊपर उठकर सनातन के स्वर्णिम उत्कर्ष का स्वागत करना चाहिए।
Ram Bagwal on life prestige :- श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जारी अपने संदेश में महेंद्र भट्ट ने पार्टी कार्यकताओं और राज्यवासियों से कहा कि जिस तरह प्रत्येक तीज-त्यौहार, धार्मिक या शुभ अवसर पर हम अपने घरों को साफ सुथरा बनाते हैं, ठीक उसी तरह हम सबने मिलकर इस एक सप्ताह में अपने आसपास के पूजा स्थलों को स्वच्छ बनाया है।
Ram Bagwal on life prestige प्रभु को भोग और भक्तों के लिए प्रसाद का कार्यक्रम हो :-
अब हमे देश की सांस्कृतिक राजधानी अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के धार्मिक अनुष्ठान का अपने आसपास के मंदिरों में अप्रत्यक्ष सहभागी भी बनना है। लेकिन यहां हमें भी लाइव प्रसारण के साथ प्राण प्रतिष्ठा के भाव को अपने अंदर लाना है। लगभग जिस तरह अयोध्या में पूजा आरती हो, प्रभु को भोग और भक्तों के लिए प्रसाद का कार्यक्रम हो ठीक उसी तरह हमे अपने यहां भी अनुसरण करना चाहिए ताकि प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने की अनुभूति हो। हम सबका प्रयास होना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति के मन में प्राण प्रतिष्ठा में सहभागिता का भाव पैदा हो।
श्री भट्ट ने प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत, भजन कीर्तन करने और घरों एवं व्यवसायिक परिसरों को त्यौहारों की भांति सजाने की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि देवभूमि में तीन बार दीवाली मनाई जाती हैं, कार्तिक दीपावली, ईगास दीपावली और बूढ़ी दिवाली। उन्होंने आग्रह किया कि इस अब इस दिन को राज्य की चौथी दिवाली, राम बग्वाल के रूप में मनाया जाए ।
Ram Bagwal on life prestige :- उन्होंने कहा कि यह 500 वर्ष की सनातनी तपस्या की सिद्धि का समय है। श्री राम जन्मभूमि के लिए लड़ी गई 76 बड़ी लड़ाइयों में प्राणोत्सर्ग करने वाले 4.5 लाख से अधिक धर्मयोद्धाओं की आत्मशांति का यज्ञ है। दुनिया में जहां जहां भी ताकत के दंभ से सभ्यता और संस्कृति को कुचला गया, ये उन सभी में नई उमंग और उत्साहवृद्धन का दिन हो।
दुनिया के सवा सौ करोड़ सनातनियों के आस्था और विश्वास का प्रतिमान और भारतीय सांस्कृतिक अस्मिता की पहचान है श्री राम जन्मभूमि मंदिर। लिहाजा त्रेता युग के बाद मिले इस युग युगांतकारी दैवीय दिव्य पलों का सहभागी बनना हम सबके लिए अमृतपान का अनुभव देने वाला है ।