देहरादून : बवासीर,भंगदर और फिशर तथा जटिल स्त्री(हँसते व खाँसते समय अनायास मूत्र का स्वतः रिसाव हो जाना,योनि में जलन,खुजली व सूखापन का महसूस होना,व्यायाम करते समय अनायास मूत्र का रिसाव हो जाना,नार्मल डिलीवरी के पश्चात योनि में ढीलापन महसूस होना) रोगों की सर्जरी हेतु वरदान बनकर उभर रही है।
आजकल के वक़्त में हम देख रहें हैं कि मेडिकल साइंस दिन प्रतिदिन बहुत आगे बढ़ रहा है जिसके कारण हमारे पास आज ज़्यादातर बीमारियों का इलाज उपलब्ध है और वो सभी इलाज अत्याधुनिक तकनीकों से धीरे धीरे आसान और सफल भी होते जा रहे हैं| इन्ही आसान और सफल तकनीकों में से एक है लेज़र सर्जरी तकनीक जिससे वर्तमान समय में आधे से ज़्यादा बीमारियों का सफल इलाज किया जा रहा है| लेज़र तकनीक में एक प्रकार की खास मशीन का उपयोग किया जाता है जिसमे से एक कृत्रिम किरण यानी कि लेजर की एक किरण निकलती है जो की किसी भी प्रकार के ट्रीटमेंट में त्वचा के अंदर तक जाती है| इस लेजर तकनीक का इस्तेमाल अलग अलग प्रकार के इलाजों में अलग अलग तरह से किया जाता है| इस लेज़र तकनीक की वजह से उपचार कम समय में और आसानी से हो जाता है|इसी श्रृंखला में वर्तमान समय में विश्व में बवासीर,भगंदर एवम फिशर तथा जटिल स्त्री रोगों(हँसते व खाँसते समय अनायास मूत्र का स्वतः रिसाव हो जाना,योनि में जलन,खुजली व सूखापन का महसूस होना,व्यायाम करते समय अनायास मूत्र का रिसाव हो जाना,नार्मल डिलीवरी के पश्चात योनि में ढीलापन महसूस होना) की सर्जरी हेतु पारंपरिक सर्जरी की तुलना में आधुनिकतम लेजर सर्जरी तकनीक कहीं ज्यादा सफल साबित हो रही है।
बवासीर, भगंदर एवम फिशर तथा जटिल स्त्री रोगों(हँसते व खाँसते समय अनायास मूत्र का स्वतः रिसाव हो जाना,योनि में जलन,खुजली व सूखापन का महसूस होना,व्यायाम करते समय अनायास मूत्र का रिसाव हो जाना,नार्मल डिलीवरी के पश्चात योनि में ढीलापन महसूस होना) हेतु लेजर सर्जरी कई तरीके से की जाती है। ये इन बीमारियों के संक्रमण की स्टेज पर निर्भर करती है कि किस तरह की लेजर सर्जरी की जाएगी। लेजर के अलावा भी कई अन्य पारंपरिक तरीके से भी सर्जरी की जाती है, लेकिन इसमें समय बहुत लगता है, इसके साथ ही रिकवरी में भी ज्यादा वक्त लगता है। पारंपरिक तरीके से की जाने वाली सर्जरी में रूटीन लाइफ में आने में बहुत समय लगता है और परहेज भी करने पड़ते हैं।
बवासीर, भंगदर और फिशर तथा जटिल स्त्री रोगों(हँसते व खाँसते समय अनायास मूत्र का स्वतः रिसाव हो जाना,योनि में जलन,खुजली व सूखापन का महसूस होना,व्यायाम करते समय अनायास मूत्र का रिसाव हो जाना,नार्मल डिलीवरी के पश्चात योनि में ढीलापन महसूस होना) हेतु लेजर सर्जरी में रिकवरी टाइम बहुत कम समय लगता है। पारंपरिक तरीके से किये गए ऑपरेशन में चीड़फाड़ और टांके लगाए जाते है, जिससे काफी दर्द होता है। इससे प्रभावित हिस्से में टिश्यू डैमेज होने का डर भी रहता है। साथ ही परहेज भी करना पड़ता है। पारंपरिक सर्जरी के बाद संक्रमण के दोबारा होने का खतरा बना रहता है।
बवासीर, भंगदर और फिशर तथा जटिल स्त्री रोगों(हँसते व खाँसते समय अनायास मूत्र का स्वतः रिसाव हो जाना,योनि में जलन,खुजली व सूखापन का महसूस होना,व्यायाम करते समय अनायास मूत्र का रिसाव हो जाना,नार्मल डिलीवरी के पश्चात योनि में ढीलापन महसूस होना) हेतु लेजर सर्जरी में रिकवरी बहुत ही जल्द हो जाती है। अगर बीमारी शुरूआती स्टेज में है तो लेजर सर्जरी में सिर्फ 10 मिनट से आधे घंटे का समय लगता है और मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती है। लेजर सर्जरी की खासियत ये है कि इसमें दर्द कम होता है। लेजर सर्जरी के बाद अगले दिन से ही रूटीन लाइफ के काम शुरू किये जा सकते है।