Poltics
दसौनी ने कहा की उन सांसदों का आलम यह है की प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को जिन गांवों को गोद लेने की बात कही थी वह गांव कभी चुने हुए सांसदों की गोद से नीचे ही नहीं उतर पाए विकास कहां से होता? दसौनी ने कहा कि पिछले चुनाव में तो मोदी के सहारे या पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों के बलिदान का वास्ता देखकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने अपनी चुनावी वैतरणी पार कर ली परंतु कांठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।
Poltics चुनौती के समय पर यह हमेशा लापता रहे:-
पिछले 5 सालों में उत्तराखंड की जनता ने बहुत कुछ सहा है बेरोजगारी महंगाई का दंश हो या फिर महिला अपराध इन सांसदों का कभी कोई आता-पता ही नहीं था, क्षेत्रीय जनता की किसी भी दिक्कत, परेशानी, कष्ट, चुनौती के समय पर यह हमेशा लापता ही रहे।
गरिमा ने कहा कि उत्तराखंड जैसे सैन्य बाहुल्य प्रदेश पर केंद्र सरकार ने अग्नि वीर जैसी आत्मघाती योजना थोपी जिसने प्रदेश के युवाओं के सपनों को चकनाचूर किया कर दिया। लेकिन जिस उत्तराखंड की जनता ने प्रेम और विश्वास के साथ पांचो लोकसभा सीटों से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को विजयी बना कर भेजा था उसके किसी भी सांसद में इस अग्नि वीर योजना के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत तक सदन के अंदर नहीं हुई।
जोशीमठ भू धंसाव हो या रेहणी की आपदा, सिल्क्यारा टनल हादसा या भर्ती घोटाले, अंकिता भंडारी हत्याकांड हो या फिर ग्रामीण अंचलों में जंगली जानवरों का आतंक,यहां तक की सशक्त भू कानून पर भी इन सांसदों ने कभी मुंह नहीं खोला, कभी भी इन चुने सांसदो ने दिल्ली से देहरादून का रुख नहीं किया। दसौनी ने कहा की यह सांसद सिर्फ और सिर्फ बयान वीर ही साबित हुए।
Poltics :- दसोनी ने कहा कि सांसद एक चुने हुए प्रतिनिधि होने के साथ-साथ केंद्र में प्रदेश की आवाज होते हैं परंतु पिछले 5 सालों में यह आवाज कभी ना सुनाई दी ना दिखाई दी, ऐसे में उत्तराखंड की जनता ने इस बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को सबक सिखाने का मन बना लिया है।