शिक्षा

CSIR IIP ने स्कूली छात्राओं के लिए आयोजित किया जिज्ञासा कार्यक्रम

हर्षिता टाइम्स। सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून में आयोजित ‘जिज्ञासा’ कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूली छात्रों के लिए एक दिवसीय वैज्ञानिक-छात्र वार्ता और प्रयोगशाला दौरा का आयोजन किया गया। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, ऋषिकेश और राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, हर्रावाला, देहरादून की 250 से अधिक छात्राओं ने इस जिज्ञासा कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्कूली छात्रों और वैज्ञानिकों को जोड़ना है ताकि छात्र जो कक्षा में सीखते हैं उसे वे एक बहुत ही अच्छी तरह से नियोजित ढंग से अनुसंधान – प्रयोगशाला में सीखने और प्रयोग करने की ओर अग्रसर और प्रेरित हो सकें। यह जिज्ञासा कार्यक्रम पूरे वर्ष के दौरान संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालाओं में आयोजित किए जाने वाले ऐसे कार्यक्रमों की एक श्रृंखला में से ही एक था।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सीएसआईआर-आईआईपी के निदेशक डॉ अंजन रे ने कहा कि विज्ञान हर जगह है और हमारे जीवन दिन-प्रतिदिन की गतिविधियां भी इसमें शामिल हैं। उन्होने गणित, भौतिकी, इतिहास, अर्थशास्त्र आदि सहित हर विषय के महत्व को समझाया। विभिन्न विषय वैज्ञानिक समस्या को हल करने में मदद कर सकते हैं और वैज्ञानिक समाधान हमारी रोज़मर्रा की समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराते हैं। “जिज्ञासा” अर्थात जानने की इच्छा, इस कार्यक्रम से जहां जिज्ञासा की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा वहीं दूसरी ओर स्कूली छात्रों और शिक्षकों के मध्य वैज्ञानिक सोच को भी प्रस्फुटित करेगी।

डॉ कमल कुमार ने विज्ञान और पेट्रोलियम उत्पादों के महत्व के बारे में जानकारी दी। डॉ अंकुर बोरदोलोई ने छात्रों को प्रेरित करते हुए “वेल टू व्हील” के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्हें पेट्रोलियम क्षेत्रों में शोध के बारे में बताया। श्री डीके पांडे ने छात्रों को किताबें पढ़ने और उनसे ज्ञान अर्जन के महत्व पर एक व्याख्यान दिया। इसके साथ ही उन्होने छात्रों को सोशल मीडिया से जानकारी प्राप्त करते समय अत्यधिक सावधानी बरतने और उन्हें लापरवाही से अग्रेषित अथवा साझा न करने के लिए भी कहा। उन्होंने डिजिटल दुनिया से प्राप्त त्वरित ज्ञान के नुकसान के बारे में भी बताया। डॉ उमेश कुमार ने “पॉलिमर” पर अपने व्याख्यान में, पॉलिमर, और इसके विशिष्ट प्रयोगों जैसे कि बुलेट प्रूफ जैकेट, संयुक्त प्रतिस्थापन और अन्य हल्की पर ठोस सामग्री सहित उनके सामान्य और विशिष्ट अनुप्रयोगों के बारे में छात्रों को जानकारी दी और उनके उत्सुकता पूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी दिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बहुलक का विवेकपूर्ण उपयोग समय की आवश्यकता है और इसके उचित पुनर्चक्रण से हम इसके दुष्प्रभावों जैसे कि पर्यावरणीय दुष्प्रभाव और प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

इन छात्राओं ने संस्थान की कई प्रयोगशालाओं जैसे जैव प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, सामान्य तापमान बायोडीजल उत्पादन प्रक्रम, अपशिष्ट प्लास्टिक रूपांतरण प्रयोगशाला और उन्नत कच्चा तेल अनुसंधान प्रयोगशाला का दौरा भी किया।

इस कार्यक्रम के आयोजन में डॉ दीपेंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी; डॉ ज्योति पोरवाल, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी; डॉ रघुवीर सिंह, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी; डॉ प्रदीप त्यागी, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी; संजय मौर्य, पंकज भास्कर; मुकुल शर्मा, संजीव कुमार, प्रदीप पुंडीर और डॉ. आरती, प्रधान वैज्ञानिक (जिज्ञासा समन्वयक) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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