हर्षिता टाइम्स।
देहरादून, 13 जुलाई। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आगामी 15 जुलाई को राजधानी देहरादून की तहसील विकास नगर के ग्राम सुधोवाला में अक्षय पात्र फाउण्डेशन की प्रदेश कि सबसे बड़ी केन्द्रीयकृत रसोई का उद्घाटन करेगें। उक्त रसोई से प्रतिदिन 35 हजार स्कूली विधार्थियों को पीएम पोषण कार्यक्रम के तहत प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन (मिड डे मील) परोसा जायेगा। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, टीहरी गढ़वाल सांसद श्रीमती माला राज्य लक्ष्मी शाह, सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुण्डिर भी भाग लेगें। जबकि अध्यक्षता अक्षय पात्र फाउण्डेशन के वाईस चेयरमैन श्री चंचलापति दास करेगें। इस मौके पर फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरतर्षभ दास, हंस फाउण्डेशन के प्रणेता भोले जी महाराज व माताश्री मंगला जी समेत सीईओ संदीप कपुर भी मौजूद रहेगें। फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री भरतर्षभ दास ने बताया कि देश में कोई भी बच्चा भुख के कारण शिक्षा से वंचित ना रहे इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर फाउण्डेशन द्वारा कार्य किया जा रहा है। यह देश भर में फाउण्डेशन की 63 वीं किचन होगी।
35 हजार बच्चों को प्रतिदिन मिलेगा भोजन: उक्त किचन के जरिये 35 हजार स्कूली बच्चों को प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन उपलब्ध करवाया जा सकेगा। अक्षय पात्र देश भर में अपनी 63 वीं रसोई के खुलते ही प्रतिदिन 19 लाख विधार्थियों को 14 राज्यों के 20 हजार से अधिक विधालयों में भोजन उपलब्ध करवा पायेगा।
आधुनिक होगी किचन: अक्षय पात्र की उक्त किचन बेहद आधुनिक होगी। इसमें मशीनों के जरिये रोटी, सब्जी, दाल व चावल तैयार किये जायेगें। एक बार में करीब एक क्विण्टल आटा गुंथने की मशीन एवं चपाती मशीन से 20 हजार रोटियां बनाई जा सकेगी। साथ ही एक बार में 1200 लीटर दाल व कुकर में 100 किलो चावल बन सकेगा। दो एकड़ में फैली उक्त किचन की निर्माण लागत करीब दस करोड़ आई है। प्रथम चरण में 120 स्कूलों के 15 हजार विधार्थियों को मिड डे मील भोजन मिलेगा, जो अगले 6 माह में 500 विधालयों के 35 हजार विधार्थियों तक भोजन पहुँचायेगा। इसके लिए करीब 150 कार्मिक प्रतिदिन भोजन निर्माण में जुटेगें। किचन की साफ-सफाई के लिए भी बेहद शानदार व्यवस्था की गई है। केन्द्रीयकृत किचन के माध्यम से अक्षय पात्र फाउण्डेशन द्वारा सरकारी विधालय के विधार्थियों को अच्छा व पौष्टिक भोजन दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि फाउण्डेशन सन् 2000 से इस क्षेत्र में सक्रिय है।
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