First Navraat Mother Shailputri
हार्दिक शुभकामनाएं
इस पावन अवसर पर मेरी ओर से आपको और आपके परिवार को ’नवरात्रि’ की हार्दिक शुभकामनाएं। माँ शैलपुत्री की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास हो। माँ आपकी हर मनोकामना पूर्ण करें और आपको जीवन के हर पथ पर सफलता प्रदान करें।
नवरात्रि, शक्ति की आराधना का पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। इस पर्व का पहला दिन, जिसे ’प्रथम नवरात्र’ कहा जाता है, माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। शैलपुत्री माँ पार्वती का पहला रूप हैं, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण श्शैलपुत्रीश् कहलाती हैं।
माँ शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शांतिदायक है। वे सफेद वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं, उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है। उनकी उपासना से जीवन में शांति, समृद्धि और मानसिक बल की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि प्रथम नवरात्रि को माँ शैलपुत्री की पूजा करने से साधक का जीवन सभी दुखों से मुक्त होता है और उसमें एक नई ऊर्जा का संचार होता है।
माँ शैलपुत्री की उपासना विधि:
- स्नान और शुद्धिकरण: पूजा से पूर्व स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध करें। पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर माँ शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- आवाहन और प्रार्थना: माँ शैलपुत्री का ध्यान करें और उन्हें अपने हृदय में आवाहित करें। उनका ध्यान करते हुए यह प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर दें।
- पूजन सामग्री: लाल वस्त्र, अक्षत, धूप, दीप, पुष्प, और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें। विशेष रूप से सफेद फूल माँ शैलपुत्री को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- मंत्र जाप: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें। यह मंत्र साधक को मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
प्रथम नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
प्रथम नवरात्र हमें आंतरिक शुद्धि और आत्म-निरीक्षण का अवसर प्रदान करता है। यह दिन हमें हमारी आंतरिक ऊर्जा को जागृत करने की प्रेरणा देता है, जिससे हम जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें। माँ शैलपुत्री की कृपा से साधक के मन में दृढ़ता और धैर्य का संचार होता है।
’जय माँ शैलपुत्री!’