देहरादून। मुख्य सचिव ने नियोजन और पंचायती राज विभाग के साथ ही सम्बन्धित रेखीय विभाग को 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरूप अनुदान एवं अनिवार्य गतिविधियों के लिये जारी धनराशि के उपयोग की निगरानी तथा स्थानीय ग्रामीण सम्पत्तियों का मूल्यांकन करने के निर्देश दिये ताकि अनुदान की धनराशि का समय पर प्रभावी उपयोग तथा वित्तीय वर्ष में स्थानीय ग्रामीण निकायों द्वारा निधि का समुचित उपयोग किया जा सके। उन्होंने स्थानीय स्तर पर पेयजल, स्वच्छता, सडक, पथ प्रकाश, सामूदायिक केन्द्र, जल निकाशी आदि जरूरतों के सुचारू क्रियान्वयन के लिये सम्बन्धित रेखीय विभागों को आपसी समन्वय बनाते हुए विकास कार्य करने के निर्देश दिये।
मुख्य सचिव ने आबद्ध अनुदान (टाइड फंड) का अनिवार्य रूप से 50 प्रतिशत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में खर्च करने तथा अधिक जनसंख्या के घटते क्रम में कम से कम 2 प्रतिशत पंचायतों की संपत्ति का मूल्यांकन करने तथा धनराशि का बेहतर उपयोग करने हेतु निगरानी करने के निर्देश दिये।
उन्होंने विकास कार्यों से सम्बन्धित जन शिकायतों पर गम्भीरता से संज्ञान लेने तथा सम्बन्धित पोर्टल पर विकास कार्यों से सम्बन्धित प्राप्त होने वाली जन शिकायतों का निस्तारण समय से सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि सचिव स्तर तथा मण्डलीय स्तर के अधिकारी द्वारा पोर्टल पर प्राप्त जन शिकायतों की निगरानी करते रहें।
मुख्य सचिव ने स्थानीय स्तर पर निर्मित किये जाने वाले ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान (जी.पी.डी.पी) में निर्मित किये जाने वाले प्रस्तावों के दौरान तात्कालिक उद्देश्यों तथा व्यक्तिगत लाभ की अपेक्षा दीर्घ कालिक उद्देश्यों तथा सामूहिक लाभ को प्राथमिकता देने के निर्देश दिये।
वित्तीय वर्ष 2020-21 हेतु 15 वें वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर राज्य की त्रिस्तरीय पंचायतों के लिये रूपये 574 करोड़ का प्राविधान किया गया है। आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदान (अनटाइड फंड)को 50 प्रतिशत मूल अनुदान में एवं 50 प्रतिशत आबद्ध (टाइड फंड) अनुदान के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
इस दौरान बैठक में प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, प्रभारी सचिव एच.सी सेमवाल, वी षणमुगम, डॉ. नीरज खैरवाल सहित सम्बन्धित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।