cyber fraud of 3 crores
उत्तराखंड एसटीएफ के साइबर थाना देहरादून पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए करीब 3 करोड़ की साइबर धोखाधड़ी में शामिल दो आरोपियों को हैदराबाद से गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी राजपुर, देहरादून निवासी पीड़ित के मामले में की गई, जिसे फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग और IPO निवेश के नाम पर ठगा गया था।
कैसे हुआ ठगी का शिकार?
पीड़ित को व्हाट्सएप ग्रुप VIP3 Stock Market Strategies में जोड़कर स्टॉक ट्रेडिंग में भारी मुनाफे का लालच दिया गया। बाद में उसे एक फर्जी वेबसाइट LSV Asset Management पर खाता खोलने के लिए कहा गया, जहां उसकी **आधार और पैन कार्ड की डिटेल्स ली गईं।
इस वेबसाइट पर पीड़ित को बड़े मुनाफे की नकली जानकारी दिखाकर अधिक से अधिक निवेश करने को प्रेरित किया गया। लेकिन जब उसने पैसा निकालने की कोशिश की, तो आरोपियों ने बहाने बनाकर करीब 2.81 करोड़ रुपये हड़प लिए।
तकनीकी जांच और गिरफ्तारी
मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसटीएफ एसएसपी नवनीत सिंह के निर्देशन में एक विशेष टीम गठित की गई। पुलिस ने बैंक खातों, मोबाइल नंबरों, व्हाट्सएप और गूगल डेटा की जांच कर ठगों को ट्रेस किया। करीब 1900 किलोमीटर दूर, हैदराबाद में 7 दिन तक छापेमारी के बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार आरोपी
- सय्यद मन्नान (42 वर्ष), निवासी मुरादनगर, हैदराबाद
- सय्यद अज़हर हुसैन (31 वर्ष), निवासी लंगर हाउस, हैदराबाद
इन आरोपियों से 3 मोबाइल फोन, 4 ATM कार्ड और 1 क्रेडिट कार्ड बरामद किए गए। जांच में पता चला कि गैंग का एक अन्य सदस्य गुरुग्राम, हरियाणा की जेल में बंद है, जिसे जल्द ही उत्तराखंड लाया जाएगा।
कैसे करते थे ठगी?
- सोशल मीडिया पर विज्ञापन देकर लोगों को जोड़ते थे।
- फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग और IPO निवेश का लालच देकर पैसा जमा करवाते थे।
- फर्जी वेबसाइट पर बड़े मुनाफे की झूठी जानकारी दिखाकर निवेश बढ़ाने को उकसाते थे।
- पैसे निकालने के समय नए-नए बहाने बनाकर निवेशकों को चूना लगाते थे।
अपराधिक इतिहास
गिरफ्तार आरोपियों पर कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और बैंगलुरु में कई साइबर ठगी के मामले दर्ज हैं। NCRP पोर्टल पर पूरे भारत से इनके खिलाफ 14 शिकायतें दर्ज हैं।
एसटीएफ की जनता से अपील
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने जनता को फर्जी निवेश योजनाओं, ऑनलाइन ठगी और अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचने की सलाह दी है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना 1930 हेल्पलाइन या नजदीकी साइबर पुलिस स्टेशन में दें।