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पर्यावरण असंतुलन और विकास की विडंबना: देहरादून में जलवायु परिवर्तन के खतरे पर धाद का हरेला संवाद

environmental imbalance
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देहरादून। आज के दौर में अनियोजित विकास विकासशील देशों में पर्यावरणीय असंतुलन का मुख्य कारण बनता जा रहा है। यह एक विडंबना है कि हम सभी उसी विकास की धुरी पर घूम रहे हैं, जो प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रही है। वर्तमान विकास मॉडल में उस समावेशी दृष्टिकोण की कमी है, जो प्रकृति के हर अंग में संतुलन बनाए रखने में सक्षम हो।

इस वर्ष देहरादून में तापमान 43 डिग्री के पार चला गया, जबकि अन्य स्थानों पर सूखा, अतिवृष्टि, बाढ़, और भूस्खलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। ये घटनाएं जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकेत हैं। ऐसे में यह विचार करना अनिवार्य हो जाता है कि आने वाले समय में हमारे विकास का मॉडल क्या होना चाहिए, हमारी जीवनशैली में क्या बदलाव आवश्यक हैं, और एक नागरिक समाज के रूप में हम अपने शहर को इन आपदाओं से कैसे बचा सकते हैं?

इन्हीं महत्वपूर्ण सवालों के जवाब तलाशने के लिए, धाद की हरेला संवाद श्रृंखला की अगली कड़ी में आपका स्वागत है। इस चर्चा में विशेषज्ञों और नागरिकों की भागीदारी से हम एक स्थायी और संतुलित विकास के मॉडल की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

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