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पीढ़ी बिगड़ जाए तो दोबारा ठीक नहीं हो सकती-धस्माना

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Written by Subodh Bhatt

देहरादून: कोई सड़क अगर खराब बन जाये तो खोद कर दुबारा बन सकती है, अगर इमारत खराब बन जाये तो ढहा कर दुबारा बन सकती है मगर आने वाली पीढ़ी अगर खराब बन जाये तो वो दुबारा ठीक नहीं कि जा सकती इसलिए पीढ़ियों के निर्माता शिक्षक को बहुत जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभानी चाहिए यह बात आज दीप लोक कालौनी में स्थित सर सैयद पब्लिक स्कूल में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि अपने संबोधन में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कही। उन्होंने कहा कि भारत जैसे धार्मिक,जातीय,भाषायी,सांस्कृतिक विभिन्नताओं के देश में शिक्षक का सबसे बड़ा धर्म छात्र छात्राओं को पाठ्यक्रम पढ़ाने के साथ साथ उन्हें नैतिक शिक्षा व देश की सबसे बड़ी विशेषता अनेकता में एकता के सिद्धांत पढ़ाने और समझाने का है। श्री धस्माना ने कहा कि दुख की बात यह है कि आज कई लोगों का काम ही बचपन से बच्चों के मन में धर्म जाती भाषा क्षेत्र के नाम पर जहर बोने का बन गया है जो राष्ट्र और समाज के लिए बहुत हानिकारक है।
श्री धस्माना ने एक शिक्षिका के प्रश्न के उत्तर में कहा कि राज्य में शिक्षा स्वास्थ्य व रोजगार के प्रति कांग्रेस बहुत गंभीर है और निश्चित तौर पर पार्टी अपने घोषणा पत्र में इन तीनों ही विषयों पर अपनी नीति जनता के हित में बनाएगी।
एक शिक्षिका के कोरोना काल में पटरी से उतरी शिक्षा व्यवस्था व गरीब बच्चों के पास एनरोइड फोन न होने से उनकी शिक्षा पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर श्री धस्माना ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह यह सुनिश्चित करती की मुफ्त या सस्ते दाम पर बच्चों को फोन उपलब्ध करवाती।
रजनीश मिश्रा के कोविड19 की तीसरी लहर की संभावना व उसके लिए तैयारियों के बारे में जवाब देते हुए श्री धस्माना ने कहा कि सबसे बड़ी तैयारी सतर्कता और मास्क साफ सफाई शारीरिक दूरी,भीड़ भाड़ से परहेज और फिर सरकार की अस्पताल ऑक्सीजन व मेडिकल स्टाफ की व्यवस्था दुरुस्त होना ये अगर किया गया तो हम मुकाबला कर सकते हैं।
श्री धस्माना ने बच्चों से भी सीधा संवाद किया व उनको तथा सभी शिक्षक शिक्षिकाओं को मास्क व सैनिटाइजर की किट भेंट की।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मंजू त्रिपाठी व अध्यक्षता श्री नफीस हसन ने की। कार्यक्रम में बबिता शर्मा, रफ्त हसन, रजनीश मिश्रा, अजय शर्मा ने भी अपने विचार सांझा किये।

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