देहरादून : महानगर महिला कांग्रेस के बड़े कार्यक्रम में महिला कांग्रेस की महानगर अध्यक्षा कमलेश रमन, महिला कांग्रेस की प्रदेश सचिव पिया थापा, कांवली ब्लॉक अध्यक्ष जया गुलानी, प्रेमनगर-कौलागढ़ अध्यक्ष सुशीला बेलवाल शर्मा, शाहिदा अंसारी ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष व पार्टी आला कमान द्वारा नव नियुक्त चुनाव घोषणा पत्र समिति के संयोजक सूर्यकांत धस्माना के समक्ष जोरदार तरीके से राज्य में महिलाओं की स्थितियों पर चिंता जाहिर करते हुए मांग करी कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी जो घोषणा पत्र बनाये उसमें महिलाओं के उत्थान व कल्याण के लिए पार्टी की एक सुस्पष्ट नीति घोषित करे। कांवली में महिला कांग्रेस द्वारा आयोजित महिला सम्मेलन में राज्य में महिलाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री धस्माना ने कांग्रेस नेत्रियों द्वारा दिये गए सुझावों से सहमति जताते हुए कहा कि वास्तव में उत्तराखंड में विकास की धुरी महिला ही है और राज्य के विकास की जब हम बात करते हैं तो विकास मॉडल में महिला को ही केंद्र में रख कर हर योजना बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में पिछले 21 वर्षों से शायद यही सबसे बड़ी चूक हो रही है कि विकास योजनाओं समेत तमाम कल्याणकारी योजनाओं में महिला को वह तवज्जो नहीं दिया गया जो दिया जाना चाहिए इसीलिए हम महिला के सर से घास लकड़ी पानी का बोझ कम नहीं कर पाए। श्री धस्माना ने महिला नेताओं से आग्रह किया कि वे सुझाव दें और उनके सुझावों पर पार्टी गंभीरता से चिंतन मनन कर अच्छे सुझावों को घोषणापत्र में शामिल करेगी।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही महानगर महिला कांग्रेस अध्यक्ष कमलेश रमन ने उत्तराखंड राज्य के निर्माण में मातृशक्ति के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य प्राप्ति के लिए कुर्बानियां देने वाली व सड़कों पर संघर्ष करने वाली माता बहनों ने ऐसे राज्य की कल्पना नहीं की थी जिसमें महिलाओं को राज्य गठन के 21 वर्ष बाद भी प्रसव के लिए उचित इलाज न मिलने पर अपनी जान से हाथ धोना पड़े।
महिला नेत्रियों ने श्री धस्माना को पार्टी हाई कमान द्वारा उनको आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की घोषणापत्र समिति का संयोजक बनाये जाने पर बधाई देने के साथ ही उनसे मांग भी कर डाली कि वे चुनाव घोषणा पत्र में महिलाओं के मुद्दों को सबसे पहली प्राथमिकता दें।
सम्मेलन में अनीता दास, मेहमूदन, बिमलेश, अंजू भारती , बबिता, कमला देवी, रीता डबराल, ऊषा जखमोला, अख्तरी बेगम, कुमारी रुकैया समेत अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रक्खे।


