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शरीर और दिमाग को स्वस्थ और तनावमुक्त रखना नितांत आवश्यक : स्वामी चिदानन्द

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ऋषिकेश,23 जून। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने द फ्लाइंग सिख के नाम से विख्यात मिल्खा सिंह जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये दुनिया भर के युवाओं को खेल के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ बनने और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने हेतु प्रेरित करते हुये कहा कि खेलों को अपने जीवन का हिस्सा बनायें क्योंकि बच्चों के लिये आउटडोर खेलना बहुत जरूरी है। आउटडोर खेलों के माध्यम से दिमाग में आक्सीजन का प्रवाह बना रहता है। कोविड महामारी के इस दौर में शरीर और दिमाग को स्वस्थ और तनावमुक्त रखना नितांत आवश्यक है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 2021 की थीम है स्वस्थ रहें और मजबूत रहें।

पूज्य स्वामी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस भी है जो सार्वजनिक सेवा के मूल्यों की रक्षा तथा विकास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सभी लोकसेवकों के लिये समर्पित है। हम सभी 21 वीं सदी में जी रहे हैं और यह एक डिजिटल क्रांति का युग है। कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटल सेवायें और मजबूती के साथ मदद के लिये आगे आयी हैं जिसके कारण हमारे दैनिक जीवन की गति में और वृद्धि हुई है। हमारे वर्तमान और भविष्य को बेहतर बनाने और सार्वजनिक सेवाओं को उत्कृष्टता प्रदान करने में लोकसेवकों का महत्वपूर्ण योगदान है। जिसके कारण हम वैश्विक स्तर पर 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों तक पहुंच सकते हैं परन्तु इस के लिये हमें मिलकर कार्य करना होगा।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि विधवा बहनों की समस्याओं के प्रति चिंतन करने हेतु समर्पित है। कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर विधवाओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। ऐसा नहीं है कि कोविड के कारण केवल विधवाओं की संख्या में ही वृद्धि हुयी हैं, बल्कि कई बच्चे भी अनाथ हुये हैं, अनेक बच्चों ने अपनी माँ को भी खोया है तथा कोविड महामारी ने कई परिवारों से उनके बच्चों को छीना है परन्तु आज का दिन विधवा बहनों की परेशानियों को उजागर करने का संदेश देता है।
कोविड- 19 महामारी ने कई परिवारों का सहारा तो छीना ही साथ ही रोजगार भी छीना है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस 2021 की थीम भी ‘अदृश्य महिला, अदृश्य समस्याएं’ हैं। विधवा बहनों को अपने दुखों को सहन करते हुये तथा कई सामाजिक समस्याओं का सामना करते हुये अपने परिवार के भरण-पोषण हेतु कार्य करना पड़ता है। वह अकेली समाज और समस्याओं का सामना करती है तथा उसकी समस्याएं कई बार पूरे समाज के लिए अदृश्य होती हैं। विधवाओं को सम्मान और एक बेहतर जीवन स्तर देने में मदद करना हमारी सामाजिक जिम्मेदारियों में से एक है। आज का दिन उन सभी समस्याओं को उजागर करने का तथा उन पर चिंतन करने का है। आईये एक बेहतर समाज के निर्माण में सहयोग प्रदान करें जहां सभी खुलकर सांस ले सकें।
एम्मा बाथा के लेख के अनुसार भारत में विधवाओं की संख्या सबसे अधिक है, जो लगभग 46 मिलियन है, इसके अलावा उन्होंने उजागर किया है कि भारतीय विधवाओं को पूरी दुनिया के सबसे दयनीय समुदाय के रूप में देखा जाता है। पूज्य स्वामी ने कहा कि हमें अपने परिवारों में अपनी विधवा मातृ शक्ति का पूर्ण सम्मान एवं सत्कार करना चाहिये।

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