ऋषिकेश : एम्स ऋषिकेश में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने नवनिर्मित अत्याधुनिक हीमोडायलिसिस यूनिट व एडवांस यूरोलॉजी सेंटर का लोकार्पण किया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश एम्स गंगा तट पर स्थित होने के कारण आम मरीजों के लिए पर्यावरण व स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक है व संस्थान बेहतर कार्य कर रहा है। इस दौरान उन्होंने एम्स अस्पताल प्रशासन की ओर से आयोजित स्वच्छता पखवाड़े का पौधरोपण कर विधिवत शुभारभ भी किया। एम्स ऋषिकेश पहुंचने पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे का निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने संस्थान के अधिकारियों व फैकल्टी मेंबर्स के साथ स्वागत किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कोविड19 का खतरा अभी टला नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड महामारी से बचाव के लिए दिए गए मूलमंत्रों को दोहराया और कहा कि देश में जो कोविड महामारी की दूसरी लहर तेजी से आगे बढ़ रही है, उससे बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतनी होगी। केंद्रीय राज्यमंत्री चौबे ने एम्स के 87 प्रतिशत हैल्थ केयर वर्करों का कोविड वैक्सीनेशन का कार्य पूर्ण होने पर प्रसन्न जताई। केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे जी ने यूरोलॉजी विभाग में एडवांस सेंटर व नैफ्रोलॉजी विभाग में अत्याधुनिक हीमोडायसिस कक्ष का लोकार्पण कहा कि एडवांस यूरोलॉजी सेंटर में लेटेस्ट तकनीकों की मशीनें आम मरीजों के उपचार में सुविधाजनक व लाभकारी सिद्ध होगी। जबकि हीमोडायसिस यूनिट किडनी के मरीजों के उपचार में कारगर सिद्ध होगा। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि हीमोडायलिसिस सेंटर व एडवांस यूरोलॉजी सेंटर स्थापित होने से उत्तराखंड सहित विभिन्न प्रांतों के गरीब से गरीब व्यक्ति को भी उच्च तकनीक पर आधारित उपचार सुलभ कराया जाएगा। इस अवसर पर यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. अंकुर मित्तल ने बताया कि संस्थान में स्थापित एडवांस यूरोलॉजी सेंटर स्थापित होने से मरीजों को आधुनिक तकनीक बिना सर्जरी के पथरी के ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इस केंद्र में कारपोरल शॉक वेब लीथोट्रिप्सी सुविधा भी मिल सकेगी। इस सुविधा द्वारा किडनी की अधिकतम डेढ़ सेमी आकार की पथरी को बिना ऑपरेशन के तोड़ा जा सकता है। सेंटर में मूत्र पथ की बीमारियों की जांच के लिए यूरो डायनेमिक्स परीक्षण की सुविधा के अलावा एडवांस वीडियो और एंबुलैट्री यूरोडायमिक्स सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं। साथ ही लैब में इमेजिंग उपकरण ट्रांसरैक्टल अल्ट्रासाउंड, मिक्यूरेटिंग सिस्टोयूरेथोग्राम मशीन तथा सीआर्म फ्लोरोस्कोपी मशीनें भी स्थापित की गई हैं। उधर, नैफ्रोलॉजी विभाग के डा. गौरव शेखर शर्मा ने बताया कि डायलिसिस प्रक्रिया में शरीर के अंदर इकट्ठा हुए जहर को मशीन द्वारा बाहर निकाला जाता है। जरूरत के अनुसार मरीज को डायलिसिस के विभिन्न सत्रों की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। हीमोडायलिसिस प्रक्रिया का एक सत्र साधारणत: 2-4 घंटे का होता है।
बताया कि संस्थान में यह इकाई पी.पी.पी मॉडल पर विकसित की गई है। जिसमें सभी अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं।
इस इकाई के प्रारंभ होने से मरीजों को हीमोडायलिसिस प्रदान करने की क्षमता में कई गुना वृद्धि होगी। यह सुविधा 24X 7 उपलब्ध रहेगी। उन्होंने बताया कि यह सुविधा आयुष्मान योजना के अंतर्गत आती है। इस दौरान डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता, एमएस बीके बस्तिया, प्रो. बीना रवि, यूरोलॉजी विभाग के प्रो. एके मंडल, डा. विकास पंवार, प्रो. वर्तिका सक्सेना, प्रो. ब्रिजेंद्र सिंह, डा. बलरामजी ओमर, डा. अनुभा अग्रवाल आदि मौजूद थे।