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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

हर्षिता टाइम्स।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक हिन्दू पर्व है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के आधार पर भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आष्टमी को मनाया जाता है, जो अक्टूबर या सितंबर महीने के आसपास आता है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जन्माष्टमी मनाई जाती है।

इस वर्ष यह त्यौहार 6 और 7 सितंबर को मनाया जा रहा है। 6 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। देवकीनंदन कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस वर्ष 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि का प्रारंभ हो रहा है और समापन 7 सितंबर को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर है।

हर्षिता टाइम्स समाचार पत्र/News Portal परिवार की ओर से आप सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

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मान्यतानुसार श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी को और भी कई नामों से जाना जाता है, जैसे कृष्ण अष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती आदि।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व:

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में यह पर्व हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है।

श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं की कथाओं का पुनः स्मरण किया जाता है, जो उनके जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाते हैं।

भक्तों और मंदिरों में रात्रि के समय किये जाने वाले आराधना, भजन, और कीर्तन के आयोजन होते हैं, जिनमें श्रीकृष्ण की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है।

यह पर्व एक दिन के व्रत के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें भक्त एक दिन के लिए व्रत रखते हैं और रात्रि को उपवास करते हैं।

दिल्ली के इसकोन मंदिर, मथुरा, वृंदावन, और द्वारका जैसे स्थलों पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अद्वितीय आयोजन होते हैं, जिनमें भक्त भगवान की लीलाओं को याद करते हैं और उनके गुणों की महिमा गाते हैं।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भक्त भगवान की पूजा, भजन-कीर्तन, और ध्यान करते हैं ताकि वे उनके आदर्शों का पालन करने के लिए प्रेरित हो सकें।

यह पर्व हिन्दू संस्कृति में एकता और भक्ति की भावना को प्रकट करता है और लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रोत्साहित करता है।

इस दिन को विशेषकर उत्तर भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, और श्रीकृष्ण के भक्त इसे खासतर से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, और गुजरात में बड़े धूमधाम से मनाते हैं।

श्रीकृष्ण के जन्म के दिन लोग बाल मंदिरों के साथ-साथ महान् पंडालों को भी सजाते हैं। जहां पर विभिन्न प्रकार के भक्तों की भीड़ आती है और भक्तिभाव से श्रीकृष्ण का जन्म समारोह मनाया जाता है।

भगवान के जन्म के दिन लोग कई विभिन्न प्रकार के खाद्य-पदार्थ बनाते हैं जैसे पनीर, मक्खन, लडड़ू, पेड़े आदि। श्रीकृष्ण का जन्म कुछ चटपटे स्पेशल डिशेज़ के साथ मनाया जाता है।

इस दिन लोग भगवान का जन्मगान गाते हैं, अपने घर में ज्योति जलाते हैं और फूलों की मालाएं बनाते हैं। इस दिन को प्रसाद तय करते हैं जो पंजेरे में रखा जाता है, जो मुख्यतः मक्खन, दूध और पंचामृत से बना होता है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व बहुत ही उच्च होता है क्योंकि यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की कहानियों को फिर से पुनः जीवन में लाने का मोका देता है और धर्म के उत्साही लोगों को यह प्रेरित करता है कि वे भगवान की शरण में रहें और उनके संदेशों का पालन करें।

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