लेख

बरसात में टमाटर के बढ़ते दाम, चिंता का विषय

बरसात

हर्षिता टाइम्स।
बरसात में टमाटर के बढ़ते रेट एक चिंता का विषय है। बरसात के मौसम में टमाटर की खेती की खराबी, पानी की बहुतायत, उत्पादन की कमता, गोदाम में बाधा, बाजारीयत और धारावाहिक वस्त्र की अभावता आदि कुछ मुख्य कारक हैं, जिनकी वजह से टमाटर के बढ़ते रेट का मुद्दा उठता है।
बरसात के मौसम में टमाटर की खेती की खराबी आमतौर पर बाढ़, जलवायु परिवर्तन, रोग और कीटों की विपरीत प्रभावी व्यवस्था से होती है। इन मुद्दों का प्रभाव, बाजार में उच्चतम न्यूनतम मूल्यों पर टमाटर की मांग वाले क्षेत्रों में सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। मौसम व्यवस्था के बादल और वर्षा की अनियमितता ने अधिकांश उत्पादकों के लिए उत्पादन को अस्थायी और अप्रमाणिक बना दिया है, जो खेती में बढ़ते प्रतिबंधों को बढ़ाता है।
टमाटर एक ऐसी सब्जी है जो भारतीय रसोईघरों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सब्जी मात्र 20 साल पहले तक गर्मियों में उपलब्ध होती थी, लेकिन आधुनिक शस्त्रधारा ने इसके उत्पादन को वसंत और बरसात के मौसम में भी संभव बना दिया है।
अधिक बाढ़, जल संकट, औषधीय बोध, किसानों के प्रशिक्षण, धातु और यंत्र की आवश्यकता में अभाव, कीटों और रोगों के विनाशित के कारण टमाटर की बाजारीयत को प्रभावित कर सकते हैं। ये सभी कारक टमाटर के उच्चतम मूल्यों का एक प्रमुख कारण हैं।
इसके अलावा, टमाटर का वस्त्र मुद्रण, यातायात, रेल और सड़क संचार के माध्यम से उत्पाद की वितरण में भी बाधाएं होती हैं, जिससे दर्शकों और आपूर्तिकर्ताओं के बीच टमाटर की आपूर्ति पर असमंजस उत्पन्न होता है। इसके परिणामस्वरूप, यह बढ़ते रेट में बदल जाता है।
इन सभी मुद्दों का समाधान ढूंढ़ने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और कृषि विशेषज्ञ संगठनों को मिलकर कठिनाइयों का सामना करना होगा। सबसे पहले, किसानों को इन बाधाओं का सामना करने के लिए उच्चयोग का प्रशिक्षण मिलना चाहिए। ये प्रशिक्षण उन्नत तकनीक, जल संचय, और मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने चाहिए। इसके अलावा, समुचित पैमाने पर व्यापार के नियम और संरचना को विकसित करने की आवश्यकता है ताकि टमाटर की आपूर्ति और दर्शकों की मांग के बीच संतुलन रहे। वन रक्षा और जल संरक्षण के लिए भी कदम संयुक्तता से उठाए जाने चाहिए। इन सभी टमाटर के बढ़ते रेट पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकेगा।

About the author

admin

Leave a Comment