उत्तराखंड शिक्षा

संस्कृत के विकास में बाधा बने तो होगी कार्रवाई: राज्यपाल

Action will be taken if there is an obstacle in the development of Sanskrit: Governor
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हर्षिता टाइम्स।
बहादराबाद (हरिद्वार), 17 जून। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के दसवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपनी परंपराओं का संरक्षण करते हुए भारत को समृद्ध, शिक्षित और दुनिया का श्रेष्ठ देश बनाने के महा अभियान का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने महान अतीत और अपनी ज्ञान परंपरा की अनदेखी करता है, वह कभी प्रतिष्ठा को प्राप्त नहीं कर सकता। राज्यपाल ने कहा कि जो कोई संस्कृत और प्राचीन विद्याओं के विकास की राह में बाधा पैदा करेंगे, उनसे कड़ाई से निपटा जाएगा।
विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षिक शोभायात्रा के साथ दीक्षांत समारोह आरंभ हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने मेधावी छात्र छात्राओं को पदक और शोधार्थियों को शोध उपाधि प्रदान की। उन्होंने खचाखच भरे सभागार को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत और प्राच्य विद्या से जुड़े युवाओं को नई टेक्नोलॉजी को अनिवार्य रूप से सीखना चाहिए। प्राचीन के संरक्षण के साथ नवीन ज्ञान का प्रयोग भी आवश्यक है। उन्होंने जी-20 का उल्लेख करते हुए कहा कि पूरी दुनिया के लिए भारत का संदेश वसुधैव कुटुंबकम की भावना है। राज्यपाल ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के संबंध में डॉक्टर अंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्कृत में उपलब्ध ज्ञान में सभी चुनौतियों का समाधान निहित है। उन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए इस बात का समर्थन किया कि विश्वविद्यालय को संस्कृत शिक्षा विभाग की बजाए उच्च शिक्षा के अंतर्गत संचालित किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने संस्कृत के क्षेत्र में लड़कियों को ज्यादा अवसर और प्रोत्साहन देने पर जोर दिया ताकि संस्कृत का ज्ञान घरों तक पहुंचे उन्होंने विश्वविद्यालय में चार शोध पीठों की स्थापना को सराहनीय कदम बताया।
अपने संबोधन में कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों, भविष्य की योजनाओं और चुनौतियां को विस्तार से सामने रखा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय को शासन स्तर पर उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित किया जाना चाहिए।
दीक्षांत समारोह के आधार संबोधन में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास बरखेड़ी ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालयों को भारतीय ज्ञान प्रणाली के उल्लेखनीय केंद्रों के रूप में विकसित होना चाहिए।
दीक्षांत समारोह के समापन से पूर्व कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर दिनेश चमोला ने स्नातकों को उपाधि हेतु उपस्थित किया। संचालन का दायित्व डॉ शैलेश तिवारी ने निभाया। इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमदेव शतांशु, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी , उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर ओ० पी० नेगी, संस्कृत शिक्षा निदेशक शिव प्रसाद ख़ाली , प्रो० राधेश्याम चतुर्वेदी आदि सहित अनेक विशिष्ट लोग उपस्थित थे।

इनको मिली शोध उपाधि
इनको मिली शोध उपाधि ज्योतिष में शुभम शर्मा, साहित्य विषय में वर्षा भाटी, सीमा रानी कमलेश कुमार, अभिषेक कुमार तिवारी, प्रमेश कुमार बिजलवान, व्याकरण विषय में राकेश कुमार, श्रेष्ठा, श्रद्धा ,शिक्षा शास्त्र विषय में संदीप मंडोलिया, प्रियदर्शनी ओली, हिंदी में रीना अग्रवाल, धीरज, योग विज्ञान में महेश प्रसाद, अनुपम कोठारी, पूजा देवी और अंजना उनियाल को पीएचडी उपाधि प्रदान की गई।

टॉपर्स को गोल्ड मेडल
विभिन्न उपाधियों में यूनिवर्सिटी टॉप करने पर 15 छात्र छात्राओं ने स्वर्ण पदक प्राप्त किए। शास्त्री उपाधि में सागर खेमरिया, साहित्य में आयुषी श्रीमर, नव्य व्याकरण में नितेश कुमार पाथरी, पुराण-इतिहास में रितिका, फलित ज्योतिष में सुमन यादव, शुक्ल- यजुर्वेद में अजय दाधीच, प्राचीन व्याकरण में अनीता शंक, वेदांत में वीरगढ़ संतोष प्रहलाद, हिंदी में सुमेधा रानी, इतिहास में प्रांशुल कुमार, शिक्षा शास्त्र में कमलेश पुरोहित, योग में बलभद्र पुरी, पत्रकारिता में गौरव कलोनी, बीलिब में अभिषेक सैनी, बीएड में विनय कोठियाल को स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया गया।

आचार्य बालकृष्ण और पद्मश्री पूनम सूरी को मानद उपाधि
दीक्षांत समारोह में दो विशिष्ट विद्वानों को महामहिम द्वारा मानद उपाधि से विभूषित किया गया। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति को आयुर्वेद एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण के लिए तथा शिक्षाविद पद्मश्री डॉ पूनम सूरी को समाज सेवा एवं वैदिक शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए मानद उपाधि प्रदान की गई। दोनों विद्वानों को अभिनंदन पत्र अंगवस्त्रम श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

नई शोध पत्रिका का प्रकाशन
संस्कृत विश्वविद्यालय ने देवभूमि जर्नल आफ मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च नाम से ई- शोध पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया है। इस पत्रिका का विमोचन महामहिम राज्यपाल द्वारा किया गया। पत्रिका के पहले अंक में ज्ञान के विभिन्न पक्षों पर केंद्रित अनेक शोध पत्र प्रकाशित किए गए हैं। पत्रिका का संपादन डॉ उमेश शुक्ला द्वारा किया गया गौरतलब है कि विश्वविद्यालय की पहली शोध पत्रिका शोधप्रज्ञा यूजीसी केयर लिस्ट में सम्मिलित है।

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