साहित्य

अब नही तो फिर कब (हरीश कंडवाल मनखी की कलम)

हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।

जब आम का सीजन चल रहा हो तो वह आम अब नही खाये जायेगे तो कब खाये जायेगे। अगले साल क्या पता आम की ऐसी फसल नही आये। जब आम के बगीचे में आम लगे होते है तो माली अपने करीबियों को ही तो सबसे पहले बांटता है। पड़ौस मोहल्ले गांव वाले तो बचे खुचे दिए जाते हैं।
अब देखो जी जब चुनाव होते हैं, तो माननीयों के लिये तमाम व्यवस्था कौन करता है, इसका जबाब है पार्टी के कार्यकर्ता, दरी कौन बिछाता है, चाय पानी, खाना कौन खिलाता है, सबका एक ही उत्तर है, पार्टी का समर्थित कार्यकर्ता।
अब जब पार्टी का कोई जनप्रतिनिधि बन जाता है, उसके लिये लोगो से कौन लड़ता है, सोशल मीडिया मे तारीफ कौन करता है, चरण वंदना कौन करता है, पार्टी का कार्यकर्ता। अब ऐसे में उनको दो चार खोखे आम के पकड़ा भी दिए तो क्या गलत किया, सबके समय मे होता आया है होता रहेगा, राहत, आपदा, योजना का धन पर सबसे पहले अधिकार कार्यकर्ता का ही होता है, क्योंकि वह सेवा भाव से कार्य करता रहता है। उसका फल तो मिलना ही चाहिए।
अब बगीचे के मालिक का कर्तव्य है कि वह माली का ख्याल रखे, क्योकि मालिक को तो पेटियों का हिसाब चाहिए, पेटियां किसको मिली कैसे मिली इससे बगीचे के मालिक ने जान कर क्या करना है।

अब रही पड़ौस मोहल्ले की बात तो वह दो दिन बोलेंगे की हमको आम की पेटी नहीं मिली, फिर वह खुद ही खरीदकर ले आएंगे और चूसते रहेंगे।
जब दूसरी बार की फसल आएगी तो दूसरे लोग आम के फल खायेंगे, आम के फल खाने के लिये ही तो होते हैं, कुछ बॉटने के लिये होते है, वह छँटा दिए जाते है, अच्छे अपने लिये बाकी पड़ौस मोहल्ले में हैसियत के अनुसार बांटे जाते हैं। इस बाटने की प्रक्रिया पर यदि मोहल्ले वाले चिल्लाते है तो चिल्लाते रहो, क्या फर्क पड़ता है आम खत्म होते ही अमरूद का सीजन आ जायेगा।

इसलिए जो सीजन के बढ़िया आम होते है, उनमें बढ़िया आम मालिक के होते है, फिर माली के होते है, बगीचे का माली भी उसमें अपनो का ही तो सबसे पहले देगा, बाकि हिलाए आम बाकी जो जितनी तेजी से टीप सके वह उसका हो जाएगा।
इसलिये ये साधो तुम अभी दशहरी आम खाओ, गुठली मत गिनो, लँगड़े आम तुम्हारे लिये नही है,मलियाबाद के तो स्पेशल पैक होकर आगे जाएगा। इसलिए तुम्हारे लिये चूसने के लिये बिज्जू आम है, जिसको वह भी नही मिला, वह बाद में आम की गुठली को रगड़कर पिपरी बजाकर अपनी भड़ास निकाल सकता है।
इसलिए अब नही तो फिर कब खायेंगे आम, अगले साल ना जाने किस पेड़ पर फल लगते है, किसके झड़ते है यह आने वाला समय बताएगा।

 

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