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केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों का रात्रि प्रवास पर प्रतिबंध

Kedarnath ban on night rest for horses and mules
Written by Subodh Bhatt

Kedarnath ban on night rest for horses and mules

रुद्रप्रयाग। जिला प्रशासन ने केदारनाथ यात्रा में गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों के रात्रि प्रवास पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने केदारनाथ धाम से गौरीकुंड तक पैदल निरीक्षण किया।

उन्होंने केदारनाथ धाम में घोड़े-खच्चरों के रात्रि विश्राम पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने अधीनस्थ अधिकारियों को यात्रा से पहले तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं। कोई घोड़ा-खच्चर संचालक नियमों की अनदेखी करता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पिछली बार केदारनाथ पैदल मार्ग पर जिस तरह से घोड़े खच्चरों के साथ क्रूरता और संचालन में अनियमितताओं को लेकर के लगातार शिकायत मिलती आई थी। अब हालात को पहले से बेहतर कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि केदारनाथ में 8 हजार घोड़ा खच्चरों के रजिस्ट्रेशन किए गए हैं। वहीं रोजाना 4 हजार घोड़ा खच्चरों को ही केदारनाथ पैदल मार्ग पर संचालन की अनुमति दी गई है।

इसके अनुसार एक दिन में एक घोड़ा केवल एक ही चक्कर लगाएगा और उससे ज्यादा की अनुमति नहीं दी गई है। वहीं इसके अलावा कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि केदारनाथ यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े खतरों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर के वहां पर डॉक्टर तैनात कर दिए गए हैं। वहीं इस साल दो अतिरिक्त अस्तबल भी केदारनाथ मार्ग और त्रियुगी नारायण में बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी केदारनाथ के पैदल मार्ग पर घोड़ा खच्चर संचालन के लिए लोग जम्मू कश्मीर, हिमाचल, नेपाल से यहां पर आते हैं।

वहीं विभाग द्वारा एक महीने पहले से ही घोड़ा खच्चरों के पंजीकरण का काम शुरू कर दिया गया है। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने केदारनाथ धाम आने वाले तमाम श्रद्धालुओं और घोड़ा संचालकों से जानवरों से क्रूरता ना करने की अपील की है।

यात्राकाल में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक घोड़ा-खच्चरों की लीद व मूत्र से स्थानीय पर्यावरण के साथ ही वन संपदा को प्रतिवर्ष व्यापक नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में इस बार यात्रा में पशु संचालक अपने जानवरों को सोनप्रयाग, गौरीकुंड व केदारनाथ स्थित घोड़ा पड़ाव में ही रात्रि विश्राम कराएंगे।

जिलाधिकारी ने पैदल मार्ग पर संवेदनशील और अति संवेदनशील स्थानों पर दुकान और फड़ नहीं लगाने के लिए भी संबंधित अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए। इससे पूर्व जिलाधिकारी ने केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लेते हुए कार्यदायी संस्थाओं को कार्यों में तेजी लाने को भी कहा।

पशुपालन विभाग और जिला पंचायत को मॉनीटरिंग करने को कहा। नियम का उल्लंघन करने वाले घोड़े- खच्चर मालिक व संचालक का लाइसेंस रद्द कर अर्थदंड भी लगाया जाएगा। घोड़ा-खच्चर एवं उनके मालिकों की सुविधा के लिए छोटी लिंचोली के समीप घोड़ा पड़ाव बनाने का प्रस्ताव तैयार करने के लिए लोनिवि केा निर्देश दिए गए हैं।

डीएम व डीडीएमओ ने स्वयं उठाया कूड़ा-कचरा

केदारनाथ से गौरीकुंड वापसी के दौरान जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, सीडीओ डॉ. जीएस खाती और डीडीएमओ नंदन सिंह रजवार सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारियों ने रास्ते के दोनों तरफ कई जगहों पर साफ-सफाई की। अभियान में 16 किमी पैदल मार्ग से 50 किलो प्लास्टिक व अन्य कचरा एकत्रित कर गौरीकुंड लाया गया।

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