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AI को सदैव मानवता की सेवा में प्रयोग करना होगा : लोकसभा अध्यक्ष

AI Experiments in humanity
Written by Subodh Bhatt

AI Experiments in humanity

  • लोकसभा अध्यक्ष ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में “फेथ एंड फ्यूचर : इंटेग्रटिंग एआई विद स्पिरिचुअलिटी” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का किया उद्घाटन
  • भारत की प्राचीन ज्ञान-परंपरा को विश्व तक पहुंचाने का प्रभावी माध्यम बन सकता है एआई : लोकसभा अध्यक्ष
  • प्रौद्योगिकी का सच्चा उद्देश्य मानव जीवन को समृद्ध और उन्नत बनाना है : लोकसभा अध्यक्ष

हरिद्वार : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को सदैव मानवता की सेवा करनी चाहिए और इसे मनुष्य पर नियंत्रण का साधन नहीं बनने देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि एआई को आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक जिम्मेदारी से जोड़ा जाना आवश्यक है, तभी यह समाज के लिए कल्याणकारी शक्ति बन सकता है।

श्री बिरला ने यह उद्गार हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में “फेथ एंड फ्यूचर : इंटेग्रटिंग एआई विद स्पिरिचुअलिटी” अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए। यह सम्मेलन फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट (अमेरिका) के सहयोग से आयोजित किया गया है।

AI Experiments in humanity

इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री बिरला ने कहा कि प्रौद्योगिकी का वास्तविक उद्देश्य मानव जीवन को समृद्ध और उन्नत करना है, उसे प्रतिस्थापित करना नहीं। उन्होंने कहा कि यद्यपि एआई अनेक चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, किन्तु इसमें नवाचारपूर्ण समाधानों के बीज भी निहित हैं। भारत की नैतिकता और सत्य की मूलभूत शक्ति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन मूल्यों को विश्व स्तर पर साझा किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि एआई भारत की प्राचीन ज्ञान और परंपराओं को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने का सशक्त माध्यम बन सकता है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि एआई जैसी शक्तिशाली तकनीक को विवेक और धैर्य के साथ संतुलित किया जाना चाहिए ताकि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ सकें। उन्होंने यह भी कहा कि करुणा, सहानुभूति और मानवीय मूल्यों के आधार पर ही एआई और आध्यात्मिकता का संगम सही दिशा में आगे बढ़ेगा और एक न्यायसंगत एवं समानतामूलक भविष्य की नींव रखेगा। श्री बिरला ने स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और लोककल्याण जैसे क्षेत्रों में एआई की परिवर्तनकारी क्षमता का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे करोड़ों लोगों के जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार लाया जा सकता है।

AI Experiments in humanity

भारत के प्राचीन आदर्श “वसुधैव कुटुम्बकम्” (सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है) और “सर्वे भवन्तु सुखिनः” (सभी सुखी हों) का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने कहा कि एआई का विकास समावेशी और समानतामूलक होना चाहिए, ताकि इसके लाभ सम्पूर्ण मानवता तक पहुँच सकें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन आध्यात्मिकता और आधुनिक प्रौद्योगिकी के बीच सार्थक वैश्विक संवाद की शुरुआत करेगा और मानवता को अधिक करुणामय एवं नैतिक भविष्य की ओर अग्रसर करेगा।

इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे।

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