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एक और बैंक आया जिला प्रशासन के रडार पर: मृत्यु के उपरान्त आश्रितों की फजीहत करा रहे बैंक

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देहरादून। उत्तराखंड में गरीब, निर्बल और असहाय नागरिकों के हक की रक्षा के लिए जिला प्रशासन लगातार सख्त कदम उठा रहा है। ताजा मामला 4 बालिकाओं की विधवा मां प्रिया का है, जो अपने पति की आकस्मिक मृत्यु के बाद बीमित ऋण के क्लेम और माफी के लिए एक वर्ष से न्याय की गुहार लगा रही थी।

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पति स्व. विकास कुमार ने सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड से ₹6.50 लाख का गृह ऋण लिया था, जिसकी बीमा पॉलिसी टाटा एआईए इंश्योरेंस से कराई गई थी। सभी जरूरी मेडिकल जांच और बीमा प्रीमियम कटौती के बावजूद, न तो बैंक ने बीमा क्लेम दिलाया, न ही ऋण माफ किया। उल्टा, विधवा प्रिया को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

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जब यह मामला जिलाधिकारी सविन बंसल के समक्ष पहुंचा, तो उन्होंने बिना देरी किए बैंक प्रबंधक की ₹6.50 लाख की आरसी काट दी। साथ ही सख्त चेतावनी दी कि यदि समयबद्ध भुगतान नहीं हुआ, तो संबंधित बैंक शाखा की कुर्की की जाएगी और संपत्ति नीलामी तक की कार्रवाई की जाएगी।

इससे पहले भी शिवानी गुप्ता नामक पीड़िता के प्रकरण में प्रशासन ने ₹15.50 लाख की आरसी काटी थी और बैंक शाखा सील कर दी गई थी, जिसके बाद बैंक ने माफी मांगते हुए संपत्ति के कागजात लौटाए थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जनसेवी कार्यशैली से प्रेरित जिला प्रशासन अब ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कदम उठा रहा है। प्रशासन का यह स्पष्ट संदेश है कि यदि कोई संस्थान या व्यक्ति आमजन को गुमराह या शोषित करेगा, तो उस पर कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

विधवा प्रिया के अनुसार, बीमा प्रक्रिया पूरी तरह वैध और मानक आधारित थी, बावजूद इसके बैंक और बीमा कंपनी द्वारा उनकी उपेक्षा की गई। डीएम की इस कार्रवाई के बाद अब अन्य पीड़ितों में भी न्याय की उम्मीद जगी है।

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