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गंगा उत्सव आस्था, संस्कृति और संरक्षण का प्रतीक

8th Ganga Utsav
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8th Ganga Utsav

हरिद्वार। हरिद्वार के चंडी घाट पर आज आयोजित आठवां गंगा उत्सव न केवल गंगा नदी की पवित्रता को समर्पित रहा, बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर को भी पुनः याद दिलाने का अवसर बना। इस विशेष आयोजन में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, और महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य सहित कई गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया।

गंगा को केवल जलधारा नहीं, बल्कि लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बताते हुए केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि गंगा हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसके संरक्षण का दायित्व प्रत्येक नागरिक का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार पूरी सक्रियता से काम कर रही है।

इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने बीएसएफ के महिला दल द्वारा देवप्रयाग से गंगासागर तक के गंगा यात्रा अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। साथ ही गंगा में जलीय जीवन का संतुलन बनाए रखने हेतु महाशीर मछलियों और लाखों मत्स्य बीजों को भी गंगा में प्रवाहित किया।

महानिदेशक नमामि गंगे राजीव मित्तल ने कहा कि गंगा उत्सव नदियों को जल का स्रोत मानने से आगे बढ़कर जीवन का आधार समझने का प्रयास है। यह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि एक अभियान है जो लोगों को नदियों के संरक्षण के प्रति जागरूक करता है।

हरिद्वार में आयोजित इस गंगा उत्सव में स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनियों से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। बच्चों के लिए भाषण और चित्रकला प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं, जिसमें उन्होंने गंगा पर अपने विचार और कलाकृतियां प्रस्तुत कीं।

गंगा नदी की स्वच्छता के लिए सरकार अब तक लगभग 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित कर चुकी है। गंगा किनारे एसटीपी प्लांट लगाए गए हैं, ताकि गंदा जल सीधे गंगा में न जाए। औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती, सीवर लाइनों का निर्माण, और गंगा तटीय गांवों को शौच मुक्त बनाने के उद्देश्य से भी सरकार प्रयासरत है।

यह गंगा उत्सव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन, 4 नवंबर को, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया था। इस दिन को हर साल एक उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा का उद्देश्य गंगा के प्रति लोगों को जागरूक करना और इसके संरक्षण को लेकर प्रतिबद्धता दिखाना है।

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