उत्तराखंड

जौनपुर ब्लॉक के POS केंद्रों पर राज्य समेकित सहकारी परियोजना के तहत किसानों से सब्जियों की खरीद में तेजी

cooperative project
Written by Subodh Bhatt

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देहरादून। टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक के अंतर्गत राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना टिहरी पीओएस केंद्रों पर समितियों के माध्यम से किसानों से सब्जियां खरीदने में सक्रिय रूप से शामिल है। इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण से न केवल किसानों को लाभ मिलता है, बल्कि सरकार, निजी क्षेत्र और स्थानीय किसानों के बीच संबंध भी मजबूत होते हैं।

राज्य समेकित सहकारी परियोजना के नोडल अधिकारी/ अपर निबंधक श्री आनंद शुक्ल ने बताया कि, इस महीने उत्तराखंड शिंका एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने थत्यूड़ और अलमस में पीओएस केंद्रों से 8 लाख रुपये मूल्य की 38 मीट्रिक टन सब्जियां खरीदकर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।

इस पहल से न केवल किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल रहा है, बल्कि कृषि क्षेत्र और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग का बंधन भी मजबूत हो रहा है। इन पीओएस केंद्रों से सब्जियों की खरीद स्थानीय किसानों को समर्थन देने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक सही कदम है।

किसानों से सीधे खरीद करके, कंपनी यह सुनिश्चित करने में सक्षम है कि उन्हें उनकी मेहनत और समर्पण का उचित मूल्य मिले। इससे न केवल किसानों की आजीविका में सुधार करने में मदद मिलती है, बल्कि क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास में भी योगदान मिलता है। इस पहल का एक प्रमुख पहलू कृषि क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग का बढ़ता स्तर है।

पीओएस केंद्रों पर किसानों से सब्ज़ियाँ खरीदने की प्रक्रिया में विभिन्न हितधारकों की भागीदारी, स्थायी कृषि को बढ़ावा देने और स्थानीय किसानों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता का एक सकारात्मक संकेत है। एक साथ काम करके, ये पक्ष एक अधिक समावेशी और लचीला कृषि क्षेत्र बनाने में सक्षम हैं, जो इसमें शामिल सभी लोगों को लाभान्वित करता है।

टिहरी गढ़वाल जिले के एडीसीओ श्री बृज मोहन सिंह नेगी ने बताया कि पीओएस
केंद्रों से सब्ज़ियों की खरीद एक सकारात्मक विकास है जो कृषि क्षेत्र में सहयोग के महत्व को उजागर करता है। स्थानीय किसानों का समर्थन करके और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देकर, यह पहल न केवल किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने में मदद कर रही है, बल्कि क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास में भी योगदान दे रही है। यह अधिक समावेशी और टिकाऊ कृषि क्षेत्र के निर्माण की दिशा में एक आशाजनक कदम है।

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