कविता साहित्य

भारत माँ ने आँखें खोलीं, ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप द्वारा रचित चौपाई

शिव- शक्ति
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भारत माँ ने आँखें खोलीं
(चौपाई छन्द )

भारत माँ ने आँखें खोलीं ।
देखो वो भी कुछ तो बोली ।।
बालक मेरे  हैं   अवसादित ।
पथ से भटके, क्यों हैं बाधित।।

वसुधा वीरों की मुनियों की ।
ज्ञान – कोष थामें गुनियों की ।।
कोई तो था प्रभु का साया ।
कोई गंगा   भू   पर लाया ।।

संतानें अब बदल गई  हैं ।
माँ की आँखें सजल भई हैं ।।
निकलो अपनी हर पीड़ा से ।
खुद को सुख दे हर क्रीडा से ।।

कुटिया चाहे  ठौर बनाना ।
घी का चाहे कौर न खाना ।।
पावनता  को अपनाना है ।
नवयुग सुख का फिर लाना है।।

किरणें   थामे नैन कोर हो ।
सबकी अपनी सुखद भोर हो ।।
बनना  खुद के भाग्य विधाता ।
आस  लगाये भारत   माता ।।

ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप (देहरादून )

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