सुना है कि चुनाव आ गये
मीठे भाषणों के दिन आ गए
अभी तो सब होंगे नतमस्तक
सब कहेंगे आपको पथ प्रदर्शक।
सोशल मीडिया में छिड़ गया वार
एक दूसरे पर आरोपो की बौछार
कौन है भला यँहा दूध का धुला
चुनाव के बाद ही तो जाता है छला ।
जिनके लिये तुम लड़ रहे हो
वह अपनों के कभी नहीं हुए
तुम को आपस मे लड़ाकर
खुद विजयी बन स्वयम्भू बनेंगे।
आज जो तुम्हारे पैरों में पड़े हैं
कल तुम उनके पैरों में पड़ोगे
आज तुम जिनके लिए लड़ रहे हो
कल तुमको पहचानने से भी मुकरेगे।
यह चुनावी जंजाल है, कुचक्र का जाल है
विकास के नाम पर इनके पूरे 5 साल है
तुम मतदान करने बूथ पर जरूर जाना
लेकिन आपसी सम्बन्धो को मत बिगाड़ना।
©®@ हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।