उत्तराखंड

प्राकृतिक संसाधनों तथा उनके संरक्षण-संवर्धन में पंचायती राज संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका : डॉ निशंक

Written by admin

देहरादून, 8 जनवरी। शिक्षा मंत्री भारत सरकार डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ द्वारा नन्दा की चौकी स्थित एक स्थानीय होटल में लोकसभा सचिवालय भारत सरकार तथा उत्तराखण्ड पंचायतीराज विभाग के तत्वाधान में द्वितीय सत्र में ‘उत्तराखण्ड के प्राकृतिक संसाधनों तथा उनके संरक्षण-संवर्धन में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए पंचायतों के उपस्थित प्रतिनिधियों और ऑनलाइन माध्यम से जुड़े प्रतिनिधियों को स्थानीय सरकारों को मजबूत करने तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अधिक सक्रियता और चेतन्यता से कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने स्थानीय प्रतिनिधियों को प्रेरित करते हुए कहा कि यदि हमें अपने गांव, समाज और भारत को श्रेष्ठ बनाना है तो हमें बड़ी सोच रखनी पड़ेगी तथा हमारे अंदर भारत को श्रेष्ठ बनाने की भी पूरी क्षमता है। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों को यशस्वी प्रधानमंत्री द्वारा सुझाये गये विजन आत्मनिर्भर भारत, समृद्ध भारत, एक भारत और श्रेष्ठ भारत बनाने के लिये ईमानदारी, पारदर्शिता और जज्बे के साथ पूरा करने का आग्रह किया।
केन्द्रीय मंत्री द्वारा प्रथम सत्र में उत्तराखण्ड पंचायती राज संस्थाओं हेतु सम्पर्क और परिचय कार्यक्रम के अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था विकेन्द्रीकरण तथा शसक्तीकरण विषय पर माननीय लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उत्तराखण्ड से कार्यक्रम की शुरूआत करने पर उनका तथा उनके लोक सभा सचिवालय टीम का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में राज्य मंत्री उत्तराखण्ड सरकार डॉ धन सिंह रावत ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों को अपने दायित्वों, अधिकारों और पंचायतीराज प्रक्रिया का क्रियाविधि को भलीभांति समझने और उसका अवलोकन करने की बात कही ताकि स्थानीय प्रतिनिधि बेहतर तरीके से विकास कार्यों को क्रियान्वित करने में अपनी भूमिका अदा कर सकें।
सांसद टिहरी लोकसभा क्षेत्र श्रीमती माला राज लक्ष्मी शाह द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तीनों स्तर तथा सरकारी मशीनरी में आपसी तालमेल और समन्वय पर जोर देते हुए विकास कार्यों को क्रियान्वित करने की बात की।
विधायक श्री मुन्ना सिंह चौहान ने पंचायत प्रतिनिधियों को बेहतर लीडरशिप डेवलप करने के साथ ही मैनेजमेंट, संसाधनों की मैपिंग के अनुरूप उसका सर्वश्रेष्ठ नियोजन करने तथा नवोन्मेष और तकनीकि के समन्वय से स्थानीय स्तर पर एक सशक्त मैकेनिज्म तैयार करने का सुझाव दिया जिससे स्थानीय जनप्रतिनिधियों को प्रशासनिक प्रक्रियाओं के विभिन्न सैद्धांतिक और व्यावहारिक तौर तरीकों, योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन, डाक्यूमेंटेशन इत्यादि की बेहतर समझ विकसित हो सके तथा वे प्रभावी तरीके से योजनाओं के निर्माण और उसके क्रियान्वयन में अपनी भूमिका अदा कर सकें।

इस दौरान गांव बचाओ आंदोलन के सूत्रधार पद्म श्री डॉ. अनिल जोशी तथा मैती आंदोलन के प्रवर्तक कल्याण सिंह रावत ने भी जल, जंगल और वायु की जीवनदायी त्रिवेणी को संजोने के साथ ही गांव की संस्कृति, विरासत, परंपरगत उत्पाद, बीज, बोली-भाषा इत्यादि पर आये संकट की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए इसको बचाने, संजोने और विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने स्थानीय सरकार को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों को वास्तव में उपलब्ध होने, उनको उन अधिकारों और दायित्वों के निर्वहन योग्य बनाने तथा पर्यावरण और विकास में संतुलन बनाते हुए कार्य करने का आह्वान किया। कार्यक्रम के अंत में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ द्वारा लोकसभा महासचिव श्री उत्पल कुमार सिंह को देवभूमि उत्तराखण्ड से पंचायती राज संस्थाओं हेतु सम्पर्क एवं परिचय कार्यक्रम की शुरूआत करने के लिये सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में इस दौरान लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव उत्तराखण्ड पंचायती राज सचिव  हरीश सेमवाल सहित विभिन्न जनपदों के जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य, ब्लाक प्रमुख व क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान सहित संबंधित जनप्रतिनिधि तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

About the author

admin

Leave a Comment