harshitatimes.com

Saturday, September 30, 2023
Spread the love
Home चुपचाप चले गए उदंकार फिल्म निर्देशक सुरेंद्र सिंह बिष्ट

चुपचाप चले गए उदंकार फिल्म निर्देशक सुरेंद्र सिंह बिष्ट

Spread the love

फिल्म निर्देशक

दिनेश शास्त्री
हर्षिता टाइम्स।
देहरादून, 10 सितंबर। उत्तराखंडी सिनेमा को पहचान दिलाने के लिए शुरुआती कोशिश करने वालों में जिन लोगों की गिनती होती है, उनमें से एक सुरेंद्र सिंह बिष्ट विगत सात सितंबर को चुपचाप इस दुनिया से चले जायेंगे, इसकी आशा न थी।

सर्वविदित है कि प्रथम गढ़वाली फिल्म जग्वाल को पारेश्वर गौड़ ने बना कर इस क्षेत्र से पहाड़ियों के गौरव की दस्तक दी थी, जग्वाल के बाद नौडियाल जी ने कबि सुख कबि दुख फिल्म बनाई। ये दोनों फिल्में गढ़वाल की पृष्ठभूमि, बोली भाषा पर ही केंद्रित थी। वह जमाना घर फूंक तमाशा देखने का था।

इसमें नया प्रयोग किया फिल्म निर्देशक सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने। उन्होंने गढ़वाल और कुमाऊं को समान प्रतिनिधित्व देने की गरज से नया प्रयोग किया उदंकार के नाम से। इस फिल्म का पहला भाग गढ़वाल पर केंद्रित था और मध्यांतर के बाद का भाग कुमाऊं पर। एक तरह से कला फिल्म थी यह।

इसमें आकाशवाणी के प्रख्यात समाचार उदघोषक देवकी नंदन पांडे थे तो राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक चंद्रमोहन बौठियाल भी थे। आजकल दूरदर्शन के देहरादून केंद्र में कार्यक्रम अधिशासी नरेंद्र सिंह रावत ने इस फिल्म में हास्य कलाकार की भूमिका निभाई थी।

फिल्म निर्देशक
फिल्म निर्देशक

फिल्म निर्देशक ने अपनी तमाम जमा पूंजी दांव पर लगा दी थी :-

बहुत कम लोग जानते होंगे कि फिल्म निर्देशक सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने इस फिल्म के लिए अपनी तमाम जमा पूंजी दांव पर लगा दी थी। श्री बिष्ट की पत्नी कमला बिष्ट फिल्म की निर्मात्री थी और खुद श्री बिष्ट फिल्म निर्देशक थे। इस तरह दो खर्चे तो उन्होंने खुद घटा दिए थे।

उदंकार फिल्म का प्रीमियर 14 फरवरी 1987 को देहरादून के कनक सिनेमा हॉल में हुआ था। फिल्म किसी एक विषय पर केंद्रित होने के बजाय समूचे उत्तराखंड पर केंद्रित थी। उसमें पहाड़ों में नारी की स्थिति, पलायन, नशाखोरी, समाज में व्याप्त अंधविश्वास, चिपको आंदोलन, राष्ट्रीय एकता और मातृभूमि उत्थान जैसे तमाम विषय समेटने की कोशिश की गई थी।

फिल्म दिल्ली में प्रदर्शित हुई तो तब जनसत्ता में कार्यरत मंगलेश डबराल जी ने टिप्पणी की थी कि संजीवनी बूटी की खोज में गए हनुमान की तरह संजीवनी के स्थान पर पूरा हिमालय ले आए हैं। उत्तरायण फिल्म के बैनर पर बनी उदंकार के बाद एक सिलसिला सा बन गया था और नब्बे का दशक आते आते एक दर्जन से अधिक फिल्म बन गई थी।

ये अलग बात थी कि आर्थिक दृष्टि से सभी फिल्में सफल नहीं हो पाई लेकिन उत्तराखंडी फिल्मों का एक अलग मुकाम जरूर बना। फिल्म निर्देशक सुरेंद्र सिंह बिष्ट मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले की पट्टी -जैंतोलस्यूं के नौंदेणा गांव के निवासी थे। उनका जन्म चार जून 1948 को

नौंदेणा गांव में हुआ था। वह संप्रति दिल्ली के द्वारका में अपने बेटे के साथ रह रहे थे। उनकी आरम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई थी जबकि स्नातक की उपाधि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने दिल्ली दूरदर्शन में नौकरी शुरू की। वे एक बेहतरीन फिल्म एडिटर थे। उस समय टेलीविजन की इस विधा में गिनती के लोग पारंगत माने जाते थे।

फिल्म निर्देशक सुरेंद्र सिंह बिष्ट उसी पीढ़ी के एक सशक्त हस्ताक्षर थे। बाद में उन्होंने एनसीईआरटी में भी पोस्ट प्रोडक्शन के तौर पर फिल्म एडिटर के रूप में काम किया लेकिन उन्हें वह ख्याति नहीं मिल पाई, जिसके वह हकदार थे। वस्तुत वे पर्दे के पीछे के कलाकार थे, शायद इसी कारण ज्यादा चर्चित नहीं हुए। यही नहीं दिल्ली में उत्तराखंड के रंगमंच को प्रसिद्धि दिलाने में भी उनका अभूतपूर्व योगदान रहा।

अपने जीवनकाल में वे सतत कार्यशील रहे तथा प्रवासियों के बीच उनका जुड़ाव अंत तक बना रहा। शनिवार नौ सितंबर को दिल्ली के निगम बोध घाट पर सैकड़ों प्रशंसकों, परिजनों, मित्रों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। उनका जाना उत्तराखंडी सिनेमा, थियेटर और सामाजिक सरोकारों के लिए अपूरणीय क्षति है।

आज की पीढ़ी तो शायद उनके नाम से ही अनजान होगी लेकिन अपने समय में वे पहाड़ के सरोकारों के पैरोकार रहे, इस बात को दिल्ली में रहने वाले लोग तो जानते ही हैं। उनका असमय चले जाना एक रिक्तता का आभास करा गया है। निसंदेह मातृभूमि की चिंता करने वाले सुरेंद्र सिंह बिष्ट की कमी नाट्य कर्मियों को बहुत खलेगी।

RELATED ARTICLES

टाटा मोटर्स ने नए अवतार में नई NEXON प्रीमियम फीचर्स के साथ लांच की घोषणा की

NEXON हर्षिता टाइम्स। देहरादून। भारत की अग्रणी ऑटोमोटिव निर्माता टाटा मोटर्स ने आज भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली एसयूवी, बिल्कुल नई नेक्सॉन के लॉन्च की...

हिंदी दिवस पर विशेष: हिन्दी मात्र भाषा ही नही है बल्कि हमारी सभ्यता व संस्कृति की भी पहचान है

भाषा किसी भी देश की भाषा ही उसकी संस्कृति एवं परम्पराओं से जोड़ने में मददगार होती है। हिन्दी मात्र भाषा ही नही है बल्कि...

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर्षिता टाइम्स। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक हिन्दू पर्व है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

लंदन से 12500 करोड़ रूपये से अधिक के सफल Investment Proposals पर करार कर लौटे मुख्यमंत्री धामी

Investment Proposals हर्षिता टाइम्स। दिल्ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यू.के. दौरे से नई दिल्ली आगमन के बाद मीडिया से औपचारिक वार्ता करते हुए कहा कि...

आगर Technology के साथ 2 हजार करोड़ और फ़िरा बार्सिलोना के साथ 1 हजार करोड़ का एमओयू साइन किया गया

Technology लंदन। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ब्रिटेन दौरे के तीसरे दिन भी दुनियाभर के कई निवेशकों के साथ बैठकों का दौर जारी रहा। लंदन...

स्वास्थ्य मंत्री ने Srinagar Medical College के टीचिंग बेस अस्पताल में अति आधुनिक स्किल सेंटर का किया शिलान्यास

Srinagar Medical College हर्षिता टाइम्स। देहरादून/श्रीनगर, 27 सितंबर। सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने Srinagar Medical College के टीचिंग...

Bachpan Bachao Andolan व उत्तराखंड सरकार ने तैयार की बाल विवाह रोकने की कार्ययोजना

Bachpan Bachao Andolan  हर्षिता टाइम्स। देहरादून, 27 सितंबर। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संगठन Bachpan Bachao Andolan  (बीबीए) ने ‘बाल विवाह मुक्त...

Recent Comments