उत्तराखंड

विधानसभा में व्यापक चर्चा के बाद उत्तराखण्ड में लागू होगा समान नागरिक संहिता कानून

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UCC law will be implemented in Uttarakhand

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने वाली समिति द्वारा इसका ड्राफ्ट उन्हें सौंप दिया गया है।

उन्होंने कहा कि 740 पृष्ठों की चार वॉल्यूम में तैयार की गई इस विस्तृत ड्राफ्ट रिपोर्ट को 05 फरवरी से आयोजित हो रहे राज्य विधान सभा के सत्र में सभी दलों के सदस्यों के साथ व्यापक चर्चा एवं विचार विमर्श के बाद इसे अधिनियम के रूप में तैयार कर राज्य में लागू कर दिया जायेगा।

UCC law will be implemented in Uttarakhand प्रदेश की जनता से वादा किया था :-

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता से वादा किया था कि चुनाव के बाद राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जायेगा। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने इसके लिए पूर्ण बहुमत की सरकार राज्य में बनाकर अपना समर्थन प्रदान किया।

UCC law will be implemented in Uttarakhand :- मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने वादे के मुताबिक हमने सरकार गठन के तुरंत बाद ही पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया था और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई।

समिति में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल एवं समाजसेवी मनु गौड़ को सम्मिलित किया गया। समिति द्वारा दो उप समितियों का गठन भी किया गया। जिसमें से एक उपसमिति का कार्य “संहिता“ का प्रारूप तैयार करने का था।

दूसरी उप समिति का कार्य प्रदेश के निवासियों से सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही संवाद स्थापित करना था। समिति द्वारा देश के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में सभी वर्ग के लोगों से सुझाव प्राप्त किये गये। इस दौरान कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किये गये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिये समाज के हर वर्ग से सुझाव आमंत्रित करने के लिये 08 सितम्बर 2022 को एक वेब पोर्टल लॉन्च करने के साथ ही राज्य के सभी नागरिकों से एसएमएस और वाट्सअप मैसेज द्वारा सुझाव आमंत्रित किये गये।

समिति को विभिन्न माध्यमों से 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए। जो कि प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के बराबर है। लगभग 10 हजार लोगों से संवाद एवं प्राप्त लगभग 02 लाख 33 हजार सुझावों का अध्ययन करने हेतु समिति की 72 बैठकें आहूत की गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन और परीक्षण कर यथाशीघ्र उत्तराखंड राज्य के लिये समान नागरिक संहिता कानून का प्रारूप तैयार कर संबंधित विधेयक को आगामी विधान सभा के विशेष सत्र में रखेगी। इस कानून को लागू करने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड गंगा यमुना का उद्गम स्थल के साथ भगवान श्री बद्रीनाथ, बाबा केदार, आदि कैलाश की पावन भूमि है। इस देवभूमि से तैयार होने वाला यह विधेयक प्रदेश हित के साथ ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ तथा सबका साथ, सबका विकास के प्रधानमंत्री श्री मोदी के मूल मंत्र को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है।

उन्होंने कहा कि यह किसी के भी विरोध के लिये नही लाया गया है। हम प्रदेश की जनता से किये गये वादे के अनुरूप इस दिशा में आगे बढ़े है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के अन्य राज्य भी इस दिशा में निश्चित रूप से आगे बढेंगे। भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में इसकी व्यवस्था भी स्पष्ट है।

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