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रामपुर तिराहा कांड 30 वर्ष बाद बड़ा फैसला, मुजरिम पीएसी जवान मिलाप सिंह व वीरेंद्र प्रताप को उम्रकैद

Rampur Tiraha incident
Written by Subodh Bhatt

Rampur Tiraha incident

मुजफ्फरनगर। राज्य आंदोलन के दौरान हुए चर्चित रामपुर तिराहा कांड में पीएससी के दो सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ितों एवं उनके परिवारजनों को अदालत के निर्णय से बड़ी राहत मिली है

Rampur Tiraha incident 50-50 आरोपियों पर हजार का जुर्माना  :-

गौरतलब है कि रामपुर तिराहा कांड में अदालत ने दोनों आरोपियों पीएससी के जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ ही उन पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर 2 अक्टूबर 1994 को आंदोलन के दौरान हमारे नौजवानों, माताओं-बहनों के साथ क्रूरतापूर्ण बर्ताव किया गया,जिसमें कई आन्दोलनकरियों की शहादत हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता और कर्तव्य है।

अपर सत्र न्यायालय ने सामूहिक दुष्कर्म समेत कई धाराओं में सुनाई सजा

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-7 शक्ति सिंह की कोर्ट ने सीबीआई बनाम मिलाप सिंह मामले में बीते 15 मार्च को फैसला सुनाते हुए दोनो को मुजरिम पाया था। सजा सुनाने के लिए सोमवार का दिन तय किया गया था। सोमवार को कोर्ट ने दोनो को उम्रकैद सुनाई

Rampur Tiraha incident :- इस दौरान पीड़ित पक्ष, उत्तराखंड आंदोलनकारी और मीडिया का जमावड़ा कोर्ट परिसर में रहा। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) परवेंद्र सिंह के साथ ही उत्तराखंड आंदोलनकारियों की ओर से अनुराग वर्मा इस मामले में पैरवी की।

कुल 15 गवाह मामले में पेश किए गए थे। तब गाजियाबाद में तैनात दोनो मुजरिम अब पीएसी से सेवानिवृत हो चुके हैं। मिलाप सिंह मूल रूप से जनपद एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव और वीरेंद्र प्रताप सिद्धार्थ नगर के गौरी गांव का निवासी है।

 

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