piggy’s laughter पिता बच्चे को सिक्के देता फिर गुल्लक की ओर इशारा करता चलो, डाल दो...
Category - कविता
फिर एगींन चुनाव, हरीश चंद्र कंडवाल द्वारा रचित सुंदर कविता
Poems क्या बुन दिदा फिर अया छ्यायी 5 साल बिटी जू फ़सोरी सिया छ्यायी बुलणा छ्यायी कि हम विकास करला...
साहित्यकार हरीश कण्डवाल मनखी की कलम से ‘मातृ दिवस’ पर लिखी...
मातृ दिवस अब जब भी गॉव जाता हूॅं गाड़ी से नीचे उतरते ही पानी की बोतल हाथ में लिए तुम मुझे महसूस होती...
ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप द्वारा रचित बहुत सुंदर कविता ‘माहिया’
हर्षिता टाइम्स। माहिया 1 सोई आँखें मूँदें छोड़ गई मन माँ ग़म की अनगिन बूँदें । 2 जो हमको समझाती जिसने...
“वीर सुभाष” ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप द्वारा...
वीर सुभाष इतिहास रचे जिन वीरों ने। उनकी कथा निराली है ।। माथा उजला करे मात का । माटी भी उजियाली है...
भारत माँ ने आँखें खोलीं, ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप द्वारा रचित...
भारत माँ ने आँखें खोलीं (चौपाई छन्द ) भारत माँ ने आँखें खोलीं । देखो वो भी कुछ तो बोली ।। बालक...
इन्साफ! ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप द्वारा रचित कविता
इन्साफ! तुम कभी झाँकना उस घर में जहाँ जलता है दिया लहू से खाते हैं लोग कटी -फटी हथेली पर रखकर रोटी...
हरीश कंडवाल मनखी की कविता ‘चल मुसाफिर चल’
हरीश कंडवाल मनखी की कलम से मॉ के गर्भ में नौ माह का किया सफर, मिला मुझे मॉ का सबसे पहले प्यार जन्म...
कविता ‘मशगूल’ हरीश कंडवाल मनखी की कलम से
मशगूल वो अपनी दुनिया में मशगूल हो गए उनकी एक झलक देखने को बेताब हो गए कभी घण्टो तक गुप्तगू होती थी...
हरीश कंडवाल मनखी कलम बिटी कविता : गुठलू
गुठलू मि भी छ्यायी कै जमन मा गुठलू कान्ध मा टाटू ,मुंड मा धरि पल्लू मूँगरू ठुकीन टैल टँगवनी कील...