हर्षिता टाइम्स।
देहरादून। प्रदेश में भारी बारिश और तूफानी हवाओं के कारण पहाड़ से लेकर तराई और भावर तक तेज आंधी के साथ बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। किसानों-बागवानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। खड़ीफसलों पर भारी बारिश एवं ओलावृष्टि ने कहर ढहा दिया और खेतों में तैयार फसल उजड़ गई। फल व साग-सब्जी तहस-नहस हो चुकी है।
एक कृषक पुरे वर्ष पर्यन्त चिंता और असुरक्षा के भाव में जीता हैं३कभी बारिश में तो कभी बारिश के अभाव में उसके आँखों के सामने नष्ट होती फसल के साथ उसके सपने चकनाचुर होने लगते हैं..कभी पालें से तो कभी अतिवृष्टि से किसान चैन की नींद उसी दिन लेता है जब वो अपनी फसल को निकालकर घर में लें आता है। लेकिन अपना दुःख दर्द हर बार किसी को नहीं बताता३.बस अपना मन समझाने में लग जाता हैं।
आज सत्य ये है की आपदा में टूटी सिंचाई नहरें भी अब तक दुरुस्त नहीं हो सकीं। डीजल, पेट्रोल, कीटनाशक, खाद, बीज सब महंगा हो गया है। एक तरफ भारी बारिश की मार तो दूसरी ओर बाजारों में उपज का सही दाम नहीं मिल पाने से किसानों को पहले ही आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
इससे पहले भी लगातार किसान मौसम की मार झेलते आ रहे हैं। लेकिन कई सीजन से सरकार द्वारा उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा। आलू उत्पादक किसानों को बीमा कम्पनीयां लगातार बीमा के नाम पर लूट रही है । किसानों के विगत वर्षों की बीमा राशि का ही भुगतान अभी तक नही हुआ है। जबकि फसल बीमा योजना के नाम पर कंपनियां हजारों करोड़ का मुनाफा कमा रही हैं। मौसम के साथ किसानों को सरकार अनदेखी की मार भी झेलनी पड़ रही है।
किसान पहले से ही बुरी तरह त्रस्त है ऊपर से प्राकृतिक मार किसान की आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ देगी जिसका सीधा असर उसके परिवार के पालन पोषण पर पड़ेगा और परिवारों को अनिश्चित भविष्य की गंभीर वास्तविकता का सामना करना पड़ेगा। यह राज्य सरकार के लिए करुणा और सहानुभूति के साथ आगे बढ़ने का समय है।