उत्तराखंड ख़बरसार

पुस्तकें सबसे अच्छी दोस्त, उन्हें प्यार करों: डॉ संजय

WhatsApp Image 2022 04 24 at 5.00.57 PM e1650817669516
Written by Subodh Bhatt

देहरादून। संजय आर्थाेपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर एवं सेवा सोसाइटी के द्वारा विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर जनजागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि माननीय सुनील उनियाल गामा महापौर, नगर निगम, देहरादून व अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन के दौरान सभी नागरिकों से अपील की कि शहर को स्वच्छ और हरा-भरा रखने के लिए यह एक संयुक्त प्रयास होना चाहिए ताकि हम शहर की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार कर सकें। डॉ. सुधा रानी पांडेय पूर्व कुलपति ने आयोजक व अतिथियों को सुझाव दिया कि युवा पीढ़ी के हित के लिए भविष्य में इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जाए।
पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय ने कहा कि हमारे शास्त्रों में लिखा है कि विचारः परम ज्ञानम अर्थात विचार परम ज्ञान है और यह भी लिखा है- ज्ञानम परम् बलम ज्ञान सबसे बड़ा बल है। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था जिस तरह पौधे को पानी की जरूरत पड़ती है उसी तरह एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत पड़ती है वरना दोनों मर जाते हैं। पुस्तकें किसी भी विचार के प्रचार-प्रसार का अच्छा, सस्ता और स्थायी माध्यम हैं।
लेखक लिखने के बाद मर जाते हैं पर पुस्तकें अमर रहती हैं जैसे हमारे ग्रंथ रामायण, महाभारत, कुरान, बाइबल, गुरु ग्रंथ साहब, आगाम और पिटिक इत्यादि। जब हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं तो ऐसा लगता है मेरा लेखक से सीधा साक्षात्कार हो रहा है और यही भावना उसमें लेखकों की लेखन के साथ अमर बनाती हैं।
पुस्तकें ऐसी दोस्त हैं कि जब भी आप उनका साथ चाहते हो वह आपके साथ हो जाती हैं और अपने पूरे कर्तव्य और जिम्मेदारी निभाती हैं। उनके लिए समय और परिस्थितियों की बाधता नहीं होती है जैसे कि व्यक्तियों के साथ होती है। पुस्तकें दोस्त ही नहीं, हम सबके जीवन में शिक्षकों, गुरुओं या फिर मार्गदर्शकों का कार्य करती हैं। बचपन से ही जिन बच्चों को किताब पढ़ने की आदत होती है वही बच्चे अपने-अपने क्षेत्रों में प्रगति करते हैं और उन्नति करते हैं क्योंकि उनको बनाने में उनकी पुस्तकों और शिक्षकों का ही योगदान होता है। जब पुस्तक दिवस मनाने का आप एक आदत डाल लेंगे तो यह आदत आपमें ही नहीं आपके आने वाली पीढ़ियों में भी आ जाएगी। मेरी तो इच्छा है कि यह दिवस अपने देश में दीवाली और ईद की तरह मनाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर अति विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री से सम्मानित डॉ. माधुरी बर्थवाल, प्रो. जे. पी. पचौरी कुलपति, विशिष्ठ अतिथि असीम शुक्ला, पारितोष किमोठी, अतिथि वक्ता डॉ. राम विनय सिंह, जसवीर सिंह हलधर, डौली डबराल, शादाब अली, विश्वम्बर नाथ बजाज, सविता मोहन, भगीरथ शर्मा, डॉ. सुजाता संजय, डॉ. गौरव संजय, एवं कार्यक्रम की अध्यक्षा डॉ. सुधा रानी के संचालक श्रीकांत एवं मीरा यहाँ पर उपस्थित महानुभावों, आर्युवेद कॉलेज के छात्र, मास-मीडिया एवं संस्था के सभी कर्मचारी उपस्थित थे।

About the author

Subodh Bhatt

Leave a Comment