वीर सुभाष
इतिहास रचे जिन वीरों ने।
उनकी कथा निराली है ।।
माथा उजला करे मात का ।
माटी भी उजियाली है ।।
वीर सुभाष की छवि अनोखी ।
वो भारत का चीता था ।।
अपनी जंग निराली उसकी ।
अंग्रेज़ों से जीता था ।।
लहू माँग भारत वीरों का ।
आज़ादी दिलवानी थी ।।
भारत माँ को मुक्त्त करेंगें ।
उसने तो यह ठानी थी ।।
भारत की प्रान्तीय सरकार।
आज़ाद हिन्द फ़ौज बनी।।
अपनी डाक,नोट,झंडे की।
गरिमा फैली घनीं-घनीं ।।
कुछ-देशों ने साथ दिया था ।
आगे बढ़ते जाते थे ।।
अंग्रेज़ी हुक़ूमत के पत्ते ।
अब तो झड़ते जाते थे ।।
अंग्रेज़ों की जड़ें हिलाई ।
दिल गोरों का काँपा था ।।
भारत-धरा वो टिक न पायें ।
दिल ने उनके भाँपा था ।
सुभाष स्वर्ण सा चमके हृदय ।
दिनकर जैसा उजियारा ।।
नमन करें हम उनको मिलकर ।
वीर धरा का वो प्यारा ।।
ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप (देहरादून )