Raghunath Kirti Hindi Seva Samman
देश का बहुचर्चित हिंदी साहित्यकार, साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार विजेता प्रोफेसर (डॉ ) दिनेश चमोला ‘शैलेश’ को हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय योगदान हेतु केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,, रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग (उत्तराखंड) के द्वारा ‘रघुनाथ कीर्ति हिंदी सेवा सम्मान 2025’ दिए जाने की घोषणा हुई है । यह जानकारी संस्थान के निदेशक , प्रो. पी वी बी सुब्रह्मण्यन जी ने पत्र के माध्यम से दी । उन्होंने बताया कि विश्विद्यालय द्वारा प्रति वर्ष उत्तराखंड मूल के किसी एक श्रेष्ठ हिंदी साहित्यकार को उसके उत्कृष्ट अवदान पर प्रदान किया जाता है। इस वर्ष आए आवेदनों की छानबीन कर चयन समिति ने प्रो. चमोला जी को इस हेतु सर्वथा योग्य पाया । यह सम्मान विश्विद्यालय के मुख्य समारोह में इसी माह देवप्रयाग में प्रो. चमोला को प्रदान किया जाएगा ।
विभिन्न विधाओं में सात दर्जन से अधिक पुस्तकों को लिखने वाले प्रो. चमोला, पिछले चवालीस (44) वर्षों से देश की अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए अनवरत लेखन करते रहे हैं । प्रो.चमोला हिंदी जगत में अपने बहु-आयामी लेखन व हिंदी सेवा के लिए सुविख्यात हैं ।
राष्ट्रीय स्तर पर साठ से अधिक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं । अभी तक अपनी उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए आपको देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा ‘सहित्यश्री’, ‘साहित्य भास्कर’, ‘विद्यासागर’, ‘युवा साहित्यकार सम्मान’, ‘साहित्य शिरोमणि सम्मान’, ‘उत्तरांचल रत्न सम्मान’ , ‘डॉ. गोविंद चातक सम्मान’, ‘उत्तराखंड शोध संस्थान सम्मान’, ‘बाल साहित्यकार सम्मान’ ‘संपादक शिरोमणि सम्मान’, ‘उत्कृष्ट बाल साहित्य पुरस्कार’, ‘हिंदी गौरव सम्मान’, ‘राष्ट्रीय राजभाषा शील्ड सम्मान’, ‘हिंदी भूषण सम्मान’, पंडित शिव शंकर दुबे स्मृति पुरस्कार’, ‘चंद्र कुंवर बर्त्वाल सम्मान’, ‘ परमार पुरस्कार’, तुरशन पाल पाठक बाल विज्ञान लेखन पुरस्कार’, ‘विवेकानंद सम्मान’, ‘राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान’,श्री श्याम सुधा परिमार्जन बाल साहित्य सम्मान’, ‘बाल साहित्य पुरस्कार’ (साहित्य अकादमी), ‘डॉ. राम किंकर सम्मान’, ‘डॉ. राष्ट्रबंधु सम्मान’ आदि अनेक सम्मान/पुरस्कार’ प्राप्त हुए हैं ।
ध्यातव्य है कि 14 जनवरी, 1964 को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के ग्राम कौशलपुर में स्वर्गीय पं. चिंतामणि चामोला ज्योतिषी एवं माहेश्वरी देवी के घर मेँ जन्मे प्रो. चमोला ने शिक्षा में प्राप्त कीर्तिमानों यथा एम.ए. अंग्रेजी, प्रभाकर; एम. ए. हिंदी (स्वर्ण पदक प्राप्त); पीएच-डी. तथा डी.लिट्. के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी राष्ट्रव्यापी पहचान निर्मित की है। अभी तक प्रो. चमोला ने उपन्यास, कहानी, दोहा, कविता, एकांकी, बाल साहित्य, समीक्षा, शब्दकोश, अनुवाद, व्यंग्य, लघुकथा, साक्षात्कार, स्तंभ लेखन के साथ-साथ एवं साहित्य की विविध विधाओं में सात दर्जन से अधिक पुस्तकों में लेखन किया है । आपके व्यापक मौलिक साहित्य देश के अनेक विश्वविद्यालयों में पीएच-डी.तथा एम.फिल. स्तरीय कई शोध कार्य संपन्न हो चुके हैं तथा अनेक विश्वविद्यालयों में वर्तमान में चल रहे हैं ।
आपकी चर्चित पुस्तकों में ‘यादों के खंडहर, ‘टुकडा-टुकड़ा संघर्ष, ‘प्रतिनिधि बाल कहानियां, ‘श्रेष्ठ बाल कहानियां, ‘दादी की कहानियां¸ नानी की कहानियां, माटी का कर्ज, ‘स्मृतियों का पहाड़, ‘क्षितिज के उस पार, ‘कि भोर हो गई, ‘कान्हा की बांसुरी, ’मिस्टर एम॰ डैनी एवं अन्य कहानियाँ,‘एक था रॉबिन, ‘पर्यावरण बचाओ, ‘नन्हे प्रकाशदीप’, ‘एक सौ एक बालगीत, ’मेरी इक्यावन बाल कहानियाँ, ‘बौगलु माटु त….,‘विदाई, ‘अनुवाद और अनुप्रयोग, ‘प्रयोजनमूलक प्रशासनिक हिंदी, ‘झूठ से लूट’, व ‘मिट्टी का संसार’;’गायें गीत ज्ञान विज्ञान के’ ‘मेरी 51 विज्ञान कविताएँ’ तथा ‘व्यावहारिक राजभाषा शब्दकोश’ आदि प्रमुख हैं। देश के अनेक विश्वविद्यालयों में आपके साहित्य पर पीएच-डी.तथा एम.फिल. स्तरीय कई शोध कार्य संपन्न हो चुके हैं तथा अनेक विश्वविद्यालयों में वर्तमान में चल रहे हैं ।
आपकी चर्चित पुस्तकों में ‘यादों के खंडहर, ‘टुकडा-टुकड़ा संघर्ष, ‘प्रतिनिधि बाल कहानियां, ‘श्रेष्ठ बाल कहानियां, ‘दादी की कहानियां¸ नानी की कहानियां, माटी का कर्ज, ‘स्मृतियों का पहाड़, ‘क्षितिज के उस पार, ‘कि भोर हो गई, ‘कान्हा की बांसुरी, ’मिस्टर एम॰ डैनी एवं अन्य कहानियाँ,‘एक था रॉबिन, ‘पर्यावरण बचाओ, ‘नन्हे प्रकाशदीप’, ‘एक सौ एक बालगीत, ’मेरी इक्यावन बाल कहानियाँ, ‘बौगलु माटु त….,‘विदाई, ‘अनुवाद और अनुप्रयोग, ‘प्रयोजनमूलक प्रशासनिक हिंदी, ‘झूठ से लूट’, ‘गायें गीत ज्ञान विज्ञान के’ ‘मेरी 51 विज्ञान कविताएँ’ तथा ‘व्यावहारिक राजभाषा शब्दकोश’ आदि प्रमुख हैं। देश के अनेक विश्वविद्यालयों में आपके साहित्य पर पीएच-डी.तथा एम.फिल. स्तरीय कई शोध कार्य संपन्न हो चुके हैं तथा अनेक विश्वविद्यालयों में वर्तमान में चल रहे हैं ।
आपको उत्कृष्ट साहित्य सृजन एवं उल्लेखनीय हिदी सेवा हेतु देश-विदेश की पचास से अधिक संस्थाओं द्वारा सम्मान/पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
आपके संपादन में प्रकाशित बहुचर्चित हिंदी पत्रिका ‘विकल्प’ ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने महत्वपूर्ण विशेषांकों के माध्यम से अपनी अलग पहचान अर्जित की है। डॉ॰ चमोला ने भारत सरकार में संयुक्त निदेशक (हिन्दी) सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया है तथा पूर्व में आप भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून में राजभाषा के प्रमुख रहे हैं तथा वर्तमान में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार में आधुनिक ज्ञान विज्ञान संकाय के पूर्व डीन, कुलानुशासक तथा भाषा एवं आधुनिक ज्ञान विज्ञान विभाग के अध्यक्ष रहे हैं । आप गढ़ विहार, फेज-1, देहरादून में रहते हैं ।
डॉ॰ चमोला ने देश के शताधिक विद्वानों के साक्षात्कार लिए हैं। अपने अनेक साक्षात्कार, रचनाओं का प्रसारण देश के 8 दूरदर्शन केंद्रों तथा 12 आकाशवाणी केंद्रों से प्रसारित हुए हैं । आप देश-विदेश की सैकड़ों पत्र-पत्रिकाओं के स्थापित लेखक हैं ।
आपके उपन्यास ‘टुकड़ा-टुकड़ा संघर्ष’ का कन्नड़ भाषा तथा अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद एवं प्रकाशन हुआ