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चारधाम यात्रा के दौरान बीकेटीसी के वित्त अधिकारी की कर दी छुट्टी? कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा ने उठाए गंभीर सवाल

Finance Officer of BKTC
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देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) में वित्त अधिकारी को अचानक हटाए जाने को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने इसे “धार्मिक व्यवस्था में दखल और अनियमितता पर पर्दा डालने की कोशिश” बताया है।

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गरिमा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि चारधाम यात्रा जैसे अत्यंत संवेदनशील और व्यस्त समय में बीकेटीसी के वरिष्ठ वित्त अधिकारी आनंद सिंह की छुट्टी करना कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने बताया कि यह पद पहले की बोर्ड बैठक में शासन से स्वीकृत कर राज्य वित्त सेवा के अधिकारी की नियुक्ति की गई थी, ताकि मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता लाई जा सके।

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गरिमा के अनुसार, आनंद सिंह ने मंदिर समिति में लंबे समय से चली आ रही वित्तीय अनियमितताओं पर रोक लगाने का प्रयास किया, निर्माण कार्यों की निविदाओं में गड़बड़ियां पकड़ीं और नियमों के विपरीत जारी हुए बिल-वाउचर्स पर आपत्ति जताई। यही ईमानदारी अब उनके विरुद्ध साजिश का कारण बन गई।

उन्होंने कहा कि समिति में चल रही अंदरूनी राजनीति और अव्यवस्थाएं अब खुलकर सामने आ रही हैं। नए अध्यक्ष के आने के बाद, कथित ‘तंत्र’ ने सबसे पहले वित्त अधिकारी को ही निशाने पर लिया और हटवा दिया।

प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान मुख्य कार्याधिकारी (CEO) की नियुक्ति नियमों के खिलाफ की गई है। मंदिर समिति की सेवा नियमावली के अनुसार CEO का पद प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी के लिए आरक्षित है, लेकिन वर्तमान CEO द्वितीय श्रेणी का भी अधिकारी नहीं हैं। इस संबंध में पहले मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को शिकायत दी गई थी, जिन्होंने जांच के आदेश भी दिए, मगर जांच ठंडे बस्ते में चली गई।

गरिमा ने यह भी खुलासा किया कि मौजूदा CEO ने लगभग 40 कर्मचारियों को नियमविरुद्ध ACP लाभ दे दिया, जिसमें वित्त अधिकारी को जानबूझकर बायपास किया गया। अस्थायी कर्मचारी संघ ने भी इस पर शासन को शिकायत सौंपी थी, लेकिन उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

गरिमा ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा – “क्या यही पारदर्शिता है? चारधाम यात्रा के बीच एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी को हटा देना और गड़बड़ियों में लिप्त अधिकारियों को संरक्षण देना, क्या यही ‘सिस्टम’ है?”

उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और मंदिर समिति को ‘दीमक की तरह खोखला’ कर रहे लोगों पर कार्रवाई हो।

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