विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं से लगातार बढ़ रहा रोगियों का ग्राफ
उत्तर भारत में वर्ल्डक्लास मेडिकल फेसिलिटी वाला पहला अस्पताल
हैलीपैड सुविधा वाला देश का एकमात्र सरकारी स्वास्थ्य संस्थान
ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखंड व इसके समीपवर्ती प्रदेशों में ही नहीं वरन समूचे देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। हालांकि यहां वर्ष 2013 में वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाओं की शुरुआत हो चुकी थी, लेकिन वर्ष 2016 के बाद से इस संस्थान में न केवल विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाई जानी शुरू की गई, अपितु यह देश का पहला ऐसा सरकारी स्वास्थ्य संस्थान भी बन गया, जहां हैली एम्बुलैंस के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों से आपात स्थिति के मरीजों को सीधे अस्पताल परिसर तक पहुंचाया जा सकता है।
तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुषमा स्वराज ने अस्पताल की नींव रखते हुए कहा था कि उत्तराखंड की इस देवभूमि में ’एम्स ऋषिकेश’ राज्यवासियों के लिए भविष्य में वरदान साबित होगा। निर्माण के बाद धीरे-धीरे एम्स अपने स्वरूप में आया तो शुरुआत में कुछ चिकित्सकों की तैनाती होने के बाद वह दिन भी आया जब 27 मई 2013 से यहां मरीजों के स्वास्थ्य जांच के लिए ओपीडी की सुविधा शुरू कर दी गई।
इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि गरीब से गरीब व्यक्ति का समुचित और बेहतर उपचार करने के लिए एम्स संस्थान संकल्पबद्ध है। उन्होंने बताया कि आमजन और खासकर गरीब पृष्ठभूमि के लोगों की चिकित्सा सुविधा के लिए पिछले 4 वर्षों के समयांतराल में एम्स में 100 से अधिक नए क्लीनिक शुरू किए गए हैं। जिनमें लंग कैंसर, ब्रोनिकल अस्थमा, काॅर्डियक इलैक्ट्रोफिजियोलाॅजी, एआरटी, पीडियाट्रिक डेर्मोटोलाॅजी, सीओपीडी, काॅर्निया, काॅस्मेटिक, फीवर, ग्लूकोमा, हार्ट फेलियर, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, स्पेशियल इमरजेंसी मेडिसिन, स्पोर्ट्स इंजरी, स्लीप डिस्ऑर्डर, सर्जिकल ओंकोलॉजी क्लीनिक जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण क्लीनिक शामिल हैं।
निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने कहा कि वर्ष 2018 सितंबर माह में शुरू हुई ’आयुष्मान भारत’ योजना के तहत 31 जनवरी-2021 तक 35 हजार 350 मरीजों का उपचार किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि देश जब कोविड 19 वैश्विक महामारी के दौरान कोरोना संक्रमितों के इलाज के प्रति एम्स ऋषिकेश ने दो कदम आगे बढ़कर अपनी पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया व इस आपात स्थिति में संस्थान के चिकित्सकों, नर्सिंग ऑफिसरों, टेक्नीशियनों सहित सभी फ्रंटलाइन वर्करों ने कोविड संक्रमण के जोखिम की परवाह किए बिना अपना संपूर्ण समय मरीजों की सेवा व उनकी जीवनरक्षा के प्रयासों में लगाया।
एम्स अस्पताल में पहले मात्र 300 बेड थे। जिनकी संख्या बढ़कर अब 960 हो गई है। सततरूप से सुविधाओं के विस्तारीकरण के मद्देनजर ऋषिकेश एम्स अस्पताल में समूचे उत्तराखंड ही नहीं वरन हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, मेघालय, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, केरला, हरियाणा, जम्मू एंड कश्मीर, झारखंड आदि राज्यों के मरीजों ने स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया है। लगातार बढ़ रहे मरीजों के दबाव के मद्देनजर भारत सरकार से लगातार संपर्क कर उच्च अनुभवी व विशेषज्ञ फैकल्टी सदस्यों की नियुक्ति बढ़ाई गई। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत के अनुसार वर्तमान में संस्थान में 246 फैकल्टी मेंबर मौजूद हैं, जबकि संस्थान में उनकी ज्वाइनिंग के समय यह संख्या महज 94 थी। एम्स के खाते में दर्ज हो रही नित नई-नई उपलब्धियों के लिए निदेशक ने अपने कर्मठ व अनुभवी चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ की सराहना की, साथ ही उन्होंने संस्थान को उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान पर पहुंचाने के लिए सभी कर्मचारियों के सतत योगदान को मुक्तकंठ से सराहा।