State Disaster Management Authority
राजभवन। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजभवन में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बनाई गई कॉफी टेबल बुक ‘श्री केदारनाथ जी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर एक और प्रयास’ का विमोचन और यूएसडीएमए के डैशबोर्ड का लोकार्पण किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टिगत एक संवेदनशील राज्य है। भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण यहां भूस्खलन, बाढ़, बादल फटना, भूकंप जैसी आपदाएं समय-समय पर आती रहती हैं। इन आपदाओं से निपटना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती रहती है। उन्होंने कहा कि 31 जुलाई 2024 को श्री केदारनाथ क्षेत्र में आई आपदा एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई थी। इस कठिन परिस्थिति में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने सभी रेखीय विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए त्वरित राहत एवं बचाव कार्य किए।

राज्यपाल ने कहा कि आज हम यू.एस.डी.एम.ए. डैशबोर्ड का भी लोकार्पण कर रहे हैं, जो आपदा प्रबंधन प्रणाली को अधिक सटीक, त्वरित और पारदर्शी बनाएगा। यह डिजिटल प्रणाली न केवल आपदाओं से संबंधित आंकड़ों के संग्रहण और विश्लेषण में सहायता करेगी, बल्कि नीति-निर्माण और त्वरित निर्णय लेने में भी सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि इस डैशबोर्ड से उत्तराखण्ड को आपदा प्रबंधन में एक नई तकनीकी शक्ति मिलेगी, जिससे न केवल त्वरित प्रतिक्रिया संभव होगी, बल्कि भविष्य में बेहतर आपदा पूर्वानुमान और योजनाएं भी बनाई जा सकेंगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि श्री केदारनाथ क्षेत्र में 31 जुलाई 2024 को आई आपदा के दौरान किए गए राहत एवं बचाव कार्यों के प्रयासों को दर्शाने वाली “कॉफी टेबल बुक“ का विमोचन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देने वाले यूएसडीएमए के डैशबोर्ड का लोकार्पण किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष केदारनाथ क्षेत्र में आई आपदा के दौरान चारधाम यात्रा भी चल रही थी।
शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिला प्रशासन से मुख्यमंत्री रातभर प्रभावित क्षे़त्र की हर अपडेट लेते रहे। अगले दिन प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए स्वयं मोर्चा संभाला। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आपदा से बचाव के लिए सामाजिक, धार्मिक संगठनों और स्थानीय लोगों का सरकार को पूरा सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक आपदा भर नहीं थी बल्कि हमारे धैर्य, समर्पण और आपदा प्रबंधन की क्षमताओं की एक कठिन परीक्षा भी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वे केदारनाथ क्षेत्र में श्रद्धालुओं के बीच पहुंचे तो उनके मन में शंका थी कि देशभर से आये श्रद्धालुओं के मन में आक्रोश का भाव होगा। उन्होंने कहा कि हमारे प्रभावित क्षेत्र में जाते ही श्रद्धालुओं में उत्साह का भाव दिखा। श्रद्धालुओं ने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि हम सभी देवभूमि से सुरक्षित अपने घर जायेंगे।
सभी श्रद्धालुओं को भोजन, दवाई और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। 15 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला गया। आपदा प्रभावित क्षेत्र में 29 स्थानों पर सड़क मार्ग ध्वस्त हो गये थे, उन सभी को जल्द प्रारंभ किया। व्यावसायिक संगठनों के लोगों से बात कर उनके सुझावों को आगे बढ़ाया। इस आपदा में हमारे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस बल, भारतीय वायु सेना के जवानों तथा जिला प्रशासन की टीमों के साथ ही स्थानीय लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया।
यूएसडीएमए द्वारा विकसित किए गए डैशबोर्ड की विशेषताएं
इस डैशबोर्ड से उत्तराखण्ड में आपदा प्रबंधन प्रणाली को अधिक सटीक, त्वरित और पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्टिंग प्रक्रिया तथा एक्शन टेकन रिपोर्ट को डिजिटल बनाया जाएगा। आपदा की घटनाओं का त्वरित विश्लेषण करने एवं उचित निर्णय लेने में सहायता मिलेगी। आपदा संबंधी डेटा को किसी भी स्थान से ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकेगा।
सभी जिलों से डिजिटल माध्यम से सूचनाओं का संकलन होगा, आपदा प्रबंधन तंत्र को अधिक प्रभावी एवं डेटा संचालित बनाने में मदद मिलेगी। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, हेमकुंड साहिब तथा शीतकाल के दौरान पांडुकेश्वर, ऊखीमठ, मुखवा, खरसाली में प्रतिदिन आगमन कर रहे तीर्थयात्रियों एवं वाहनों की सूचनाएं नियमित अपडेट की जाएंगी। आपदाओं के कारण होने वाली जनहानि, पशुहानि तथा परिसंपत्तियों की क्षति, सड़क दुर्घटनाओं का विवरण, आगामी दस दिवस का मौसम पूर्वानुमान, उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों में तैनात आपदा मित्रों की जीआईएस लोकेशन के साथ फोन नंबर, सेटेलाइट फोन की सूचनाएं तथा सड़कों के बाधित होने व खुलने की जानकारी समाहित होगी।
इस अवसर पर विधायक रुद्रप्रयाग भरत चौधरी, उपाध्यक्ष आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति विनय रोहिला, मंडी परिषद् के अध्यक्ष अनिल डब्बू, सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन, सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन, अपर सचिव राज्यपाल स्वाति एस भदौरिया, एडीजी ए.पी. अंशुमान, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकुमार नेगी, जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग डॉ. सौरभ गहरवार सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।