साहित्य

लोक संस्कृति के मर्मज्ञ डॉ. डी.आर. पुरोहित के व्यक्तित्व और कृतित्व पर पुस्तक का लोकार्पण

Launch of book on Dr. D.R. Purohit
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Launch of book on Dr. D.R. Purohit

देहरादून। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के तत्वावधान में पुस्तकालय के सभागार में सादे किंतु गरिमामय समारोह में विनसर पब्लिकेशन द्वारा लोक संस्कृति के मर्मज्ञ डॉ. डी.आर. पुरोहित के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

समारोह की अध्यक्षता दून पुस्तकालय के निदेशक प्रो. बी.के. जोशी ने की, जबकि मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल थी। उत्तराखंड के प्रख्यात लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार गिरीश सुंदरियाल ने किया। इससे पूर्व उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला के उपलक्ष में दून पुस्तकालय परिसर में पौधारोपण भी किया गया।

‘संस्कृति और रंगमंच के पुरोधा डॉ. डी.आर. पुरोहित’ पुस्तक का संपादन वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शास्त्री ने किया है। पुस्तक में अनेक विद्वान लेखकों ने डॉ. पुरोहित के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा उत्तराखंड की लोक संस्कृति के उन्नयन में दिए गए योगदान और पारंपरिक रंगमंच को दिए गए विस्तार का विशद वर्णन किया गया है।

समारोह में आगंतुक अतिथियों का स्वागत हिमाद गोपेश्वर के उमाशंकर बिष्ट ने किया जबकि सुदूर सलूड डुंग्रा के निवासी और राजकीय इंटर कॉलेज गौचर के प्रधानाचार्य डॉ. कुशल भंडारी, गढ़वाली कविता की सशक्त हस्ताक्षर बीना बेंजवाल ने डॉ. पुरोहित के योगदान का उल्लेख किया।

लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने डॉ. पुरोहित द्वारा लोक संस्कृति के क्षेत्र में की गई सेवाओं को अतुलनीय बताते हुए कहा कि उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें संगीत नाटक अकादमी जैसे सम्मान से अलंकृत किया है।

मुख्य अतिथि प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि प्रो. पुरोहित उनके गुरु रहे हैं और गुरु के सम्मान का साक्षी बनना उनके लिए गौरव का विषय है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. बी.के. जोशी ने डॉ. पुरोहित को उत्तराखंड की अमूल्य निधि बताते हुए कहा कि लोक संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान को रेखांकित किया जाना निसंदेह अच्छा कार्य है। उन्होंने डॉ. पुरोहित को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम में गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के प्रो. डॉ. संजय पांडेय ने सदेई गायन की प्रस्तुति दी। उनके साथ हुडका और मोछंग पर सिद्धहस्त कलाकार रामचरण जुयाल ने संगत दी।

समारोह के मुख्य भाग ष् उत्तराखंड में नंदा की गाथा – स्वरूप, महत्व और सार्वभौमिकता पर प्रो. पुरोहित ने विस्तार से प्रकाश डालते हुए प्रदेश की आराध्य भगवती नंदा के विविध स्वरूपों का विस्तार से प्रकाश डाला। उनके साथ जागर गायन में डॉ. शैलेंद्र मैठाणी ने संगत दी जबकि रामचरण जुयाल ने हुडके पर संगत दी।

समारोह में बड़ी संख्या में संस्कृति प्रेमियों, बुद्धिजीवियों, कलाकारों, पत्रकारों ने भाग लिया। इस अवसर पर दून पुस्तकालय के समन्वयक चंद्रशेखर तिवारी, डा.कुशल भंडारी, डॉ.नंद किशोर हटवाल, राष्ट्रीय सहारा तथा सहारा समय की स्टेट हेड ज्योत्सना, संपादक राकेश डोभाल, रियर एडमिरल (रि.) ओ.पी.एस. राणा, कुलानंद घनसाला, दिगपाल गुसाईं, साहित्यकार रमाकांत बेंजवाल, महिपाल गुसाईं, हरेंद्र बिष्ट, उमाशंकर बिष्ट, डॉ. ओमप्रकाश जमलोकी, विनसर प्रकाशन के कीर्ति नवानी, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत, दिनेश जुयाल, वरिष्ठ रंगकर्मी, एस.पी. ममगाई, प्रो. पूनम सेमवाल, सुलोचना पयाल, दयाल सिंह बिष्ट, अतुल शर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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