सेवक की अरदास
हर्षिता टाइम्स।
देहरादून, 06 अगस्त। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, आढ़त बाजार की अधीनस्थ प्रबंधक कमेटी गुरुद्वारा श्री गुरु नानक निवास की और से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक श्री अमृतसर के सहयोग द्वारा कथा – कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। ‘सेवक की अरदास प्यारे’ सुन कर संगत निहाल हो गई।
गुरुद्वारा श्री गुरु नानक निवास पर आयोजित कार्यक्रम की आरम्भता प्रातः नितनेम से हुई। भाई कुलदीप सिंह हजूरी रागी दरबार श्री अमृतसर ने आसा दी वार का शब्द कीर्तन ‘अबिनासी जीअन को दाता सिमरत सभ मल खोई’ का गायन कर संगत को निहाल किया स हजूरी रागी भाई गुरदियाल सिंह ने शब्द ‘रसना जपती तूही तूही, भाई चरणजीत सिंह जी ने शब्द जूझवो काम है छत्रिन को कछु जोगिन को नहीं काम लराई एवं भाई नरेन्दर सिंह ने शब्द ‘सो सिख सखा बंन्धप है भाई’ का गायन कर संगत को निहाल किया।
सेवक की अरदास :-
भाई जगतार सिंह हजूरी रागी दरबार श्री अमृतसर वालों ने शब्द ‘हर जन बोलत श्रीराम नामा मिल साधसंगत हर तोर’ एवं भाई साहिब सिंह जी हजुरी रागी दरबार श्री अमृतसर वालों शब्द ‘मिलत प्यारों प्राण नाथ कवन भगति ते’ का गायन कर संगत को निहाल किया।
हैड ग्रंथी भाई शमशेर सिंह ने कहा कि गुरु साहिब जी ने हमे एक ही प्रभु के बच्चे बताते हुए पवित्र कर्म करने का संदेश दिया एवं बताया कि इन्सानियत सबसे बडा धर्म है।
हैंड ग्रंथी भाई शमशेर सिंह ने सरबत के भले के लिए अरदास की, प्रधान, गुरबख्श सिंह राजन व जनरल सेक्रेटरी गुलज़ार सिंह द्वारा संगतों को कार्यक्रम की बधाई दी । मंच का संचालन दविंदर सिंह भसीन ने किया।
कार्यक्रम के पश्चात संगत ने गुरु का लंगर व प्रशाद ग्रहण किया।
सरदार मंजीत सिंह के पूर्व अध्यक्ष गुरुद्वारा दिल्ली प्रबंधक कमेटी ने कहा कि हमें यह खुशी है यहां पर शिखों को चढ़दी कला में देखते हैं जो कि गुरु नानक साहब का मैसेज है। कृति करो, नाम जपो, वंढ छक्कों , सिख समाज का उत्तराखंड के डेप्लॉयमेंट में बहुत बड़ा योगदान है।
सरदार परमजीत सिंह शरना ने कहा कि देहरादून के गुरुद्वारे की संगत समय-समय पर पाकिस्तान की गुरुद्वारों में अपने जत्था भेजती है और प्रचार-प्रसार में पूर्ण सहयोग करती है। लगातार 10-15 वर्षों से मुझे देहरादून की संगतों को सुनने का मौका मिल रहा है और मैं यहां की संगतों से बहुत प्रभावित हूं।
इस अवसर पर सरदार गुरबख्श सिंह राजन अध्यक्ष, गुलज़ार सिंह महासचिव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जगमिंदर सिंह छाबड़ा, सचिव अमरजीत सिंह छाबड़ा, सेवा सिंह मठारु, चरणजीत सिंह उपाध्यक्ष, देविंदर सिंह मान, मंजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह जौली, सरदार सतनाम सिंह, सरदार, देविंदर सिंह भसीन, जगजीत सिंह, हरमोहिंदर सिंह, रमिन्दर सिंह राणा, गुरदियाल सिंह, चरणजीत सिंह बेदी, नरेंदर जीत सिंह विद्रा, गुरप्रीत सिंह आलुवालिया, कर्नल कुलवंत सिंह, दलवीर सिंह कलेर, राजिंदर सिंह राजा आदि उपस्थित रहे।