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बदरीनाथ में विधर्मियों की गिद्ध दृष्टि : बदरी केदार विकास समिति

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Written by Subodh Bhatt

देहरादून : बदरीनाथ धाम के समान हिन्दुओं का कोई और तीर्थ नहीं है इस तीर्थ की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक किसी और धर्म के लोगों का यहां पर प्रवेश न हो एक धर्म विशेष के लोगों द्धारा इस भू- बैकुण्ठ धाम में नमाज अता करना हिन्दू मान्यताओं के खिलाफ है।
उक्त विचार बदरी केदार विकास समिति के तत्वावधान में “बदरीनाथ में विधर्मियों की गिद्ध दृष्टि ” विषय पर आयोजित परिचर्चा में डां0 माधव मैठाणी ने व्यक्त किये।
डा0 मैठाणी ने कहा कि बदरीनाथ में नमाज अता करना वहाँ के आध्यात्मिक एवं धार्मिक परिवेश के खिलाफ है यह न केवल अक्षम्य है वरन घोर निंदनीय भी है।
उन्होने कहा कि आज एक धर्म विशेष के लोगों द्बारा सुनियोजित साजिश के तहत जानबूझ कर हिन्दू आस्था के पवित्र केन्द्रों को इस तरह के घटनाक्रम के जरिए लांछित किया जा रहा है। उन्होंने ऐसी ताकतों के खिलाफ एक जुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि अब इन लोगों के नापाक मंसूबों का पर्दाफ़ाश हो गया है। सोशल मीडिया ने भी इस धर्म विशेष लोगों का विकृत चेहरे अब बेनकाब कर दिया है।
परिचर्चा में समिति के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट भगवती प्रसाद किमोठी ने कहा कि आज दुनियाभर में इस धर्म विशेष के लोगों की कारगुजारियों के कारण मानवता को शर्मसार होना पडा है। अफगानिस्तान का हालिया घटनाक्रम इसका ताजा उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ में विधर्मियों के प्रवेश को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ।
परिचर्चा में अनेक विद्बत जनों ने अपने विचार रखे। एक सर्वमान्य राय यह उभर कर सामने आई कि रावल व शंकराचार्य को भी इस तरह की घटनाओं पर अपनी त्वरित टिप्पणी देनी चाहिए। धर्म और धार्मिक तीर्थों की रक्षा के लिए धर्म गुरू आगे नहीं आयेंगे तो और कौन हिन्दू व सनातन धर्म की रक्षा करेगा।
परिचर्चा में विश्वनाथ बेंजवाल, शशिभूषण खाली, डा0शशीभूषण मैठाणी, शिक्षाविद बीएस पंवार, हेमंत बुटोला, देवकृष्ण थपलियाल, उपेन्द्र नेगी, जीएस बिष्ट, नंद किशोर हटवाल, मोहन पंचभैय्या,एस्एन सेमवाल आदि ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन कार्यकारी अध्यक्ष विजय प्रसाद खाली ने किया ।

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