ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विश्व मानवतावादी दिवस के अवसर पर पश्चिम की धरती से भेेेजे अपने संदेश में कहा कि आज का दिन माता धरती और विकास की धारा में अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति के प्रति मानवतावादी दृष्टिकोण रखने का संदेश देता है। हमारे द्वारा सामाजिक और प्राकृतिक स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन किये जाये यही तो मानवतावाद है। सभी के प्रति सहानुभूति और करुणा का भाव जाग्रत कर व्यवहार करना जिस प्रकार प्रकृति सभी के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखती है उसी प्रकार दुनिया का दृष्टिकोण भी प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सकारात्मक और करूणा से युक्त हो। हमें अपने प्राकृतिक संसाधन और विशेष तौर पर हमारी जल राशियां, प्राणवायु ऑक्सीजन देने वाले पेड़-पौधें, पोषण और संरक्षण देने वाली पृथ्वी के प्रति मानवीय व्यवहार करना ही होगा।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि आज पूरा विश्व ‘विश्व फोटोग्राफी दिवस’ भी मना रहा है। साथ ही आज का दिन उन लोगों के लिये समर्पित है जिन्होंने विशेष और खूबसूरत दृश्यों को तस्वीरों में कैद कर उसे हमेशा के लिये यादगार बना दिया। स्वामी जी ने युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि फोटो खींचे; सेल्फी ले परन्तु सेल्फ पर भी ध्यान रखे यह बहुत जरूरी है। मेरे अन्दर कौन सी तस्वीर बन रही है। हमारे अन्दर जो तस्वीर है जो सोच है उससे मानवता के लिये क्या किया जा सकता है। हमें यह याद रखना होगा कि प्रकृति है तो जीवन है, बिना प्रकृति और पर्यावरण के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारत तो प्राकृतिक संसाधनों एवं मानवीय गुणों से समृद्ध राष्ट्र है इन गुणों को जीवंत बनायें रखना हम सभी का परम कर्तव्य है।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन देने, समाज के हर वर्ग और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार करने हेतु भारतीय सनातन दर्शन अर्थात ग्रीड कल्चर नहीं नीड कल्चर पर ध्यान देना होगा।
इस वर्ष का विश्व मानवतावादी दिवस (19 अगस्त 2021) जलवायु संकट से निपटने के लिए समर्पित है, जो मानवता के सामने सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा है। इस समय दुनिया में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, विनाशकारी तूफानों और बदलते मौसम को देखते हुये इस वर्ष का विषय जलवायु संकट रखा गया है। आज का दिन उन नायकों के लिये समर्पित है जो वास्तविक जीवन में जिन्होंने कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद मानवता की सेवा को चुना। यह दिवस उन सभी महान आत्माओं को धन्यवाद देने के लिये है जिन्होंने संकट की घड़ी में भी ज़रूरतमंद लोगों की सहायता करने और उनके जीवन की रक्षा करने के लिये या तो अपनी जान गंवा दी या फिर खुद घायल हुये।


