गुरु पूर्णिमा
रजनीश उनियाल
हर्षिता टाइम्स।
हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने पुराणों तथा महाकाव्य महाभारत की रचना की थी। लेकिन कुछ लोगों के मन में गुरु पूर्णिमा पर्व की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं, कब मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा 2023 पर्व?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 02 जुलाई को रात्रि 08 बजकर 21 मिनट पर होगा और पूर्णिमा तिथि का समापन 03 जुलाई को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, गुरु पूर्णिमा पर्व 03 जुलाई 2023, सोमवार के दिन हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाएगा। बता दे इस दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है, जिसे ज्योतिषशास्त्र में बहुत ही शुभ माना जाता है।
इस शुभ अवसर पर अपने गुरुजनों को अपने घर में आमंत्रित कर या गुरुजी के पास जाकर श्रद्धा और विश्वास के साथ गुरु पूजन करें साथ ही घर में श्री लक्ष्मी नारायण भगवान अथवा सत्यनारायण भगवान का पूजन व्रत तथा कथा का आयोजन करें जिन व्यक्तियों के जन्म कुंडली में बृहस्पति खराब स्थिति में हैं उनके लिए यहां स्वर्णिम अवसर हैं इस दिन दान देने की भी अधिक महिमा है अपने गुरुजनों को तथा ब्राह्मणों को पीले वस्त्र आदि दान देकर पुण्य के भागी बने
हिंदू धर्म के साथ-साथ इन धर्मों में भी है गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व
सनातन धर्म में जिस तरह आदि गुरु शंकराचार्य, श्री रामानुजाचार्य और श्री माधवाचार्य को जगद्गुरु गुरु का स्थान प्राप्त है और गुरु पूर्णिमा के दिन उनका आशीर्वाद लिया जाता है। ठीक उसी प्रकार बौद्ध और जैन धर्म में भी गुरु पूर्णिमा को त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी महात्मा गौतम बुद्ध की उपासना करते हैं और जैन धर्म के उपासक महावीर को गुरु के रूप में पूजते हैं।