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आयुर्वेद में हृदय स्वास्थ्य: उपाय और संज्ञान

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आयुर्वेद

हर्षिता टाइम्स।

हार्ट के लिए आयुर्वेद में क्या क्या उपयोगी है

आयुर्वेद में हृदयरोग (हार्ट रोग) के लिए कई प्रकार के उपचार और उपायों का उल्लेख किया गया है। यहां कुछ आयुर्वेदिक उपायों को दिया गया है जो हार्ट के लिए उपयोगी हो सकते हैं:

अर्जुन छाल: अर्जुन की छाल को हृदयरोग के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं में एक प्रमुख सामग्री के रूप में मान्यता है। इसे हृदय शक्ति बढ़ाने, रक्त संचार को सुधारने, लिपिड प्रोफाइल को संतुलित करने और दिल की पम्पिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।

सर्पगंधा (रौवोल्विया सर्पेंटिना): सर्पगंधा एक जड़ी बूटी है जिसे हृदयरोग के उपचार में उपयोग किया जाता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और मन को शांत करने में सहायता प्रदान करता है।

Commiphora mukul: The Commiphora species includes the mukul. यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने, रक्त संचार को सुधारने और इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करता है।

 

अर्जुनारिष्ट के सेवन से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

हृदय की सुरक्षा: अर्जुनारिष्ट में मौजूद अर्जुन की छाल हृदय के लिए पोषक गुणों से भरपूर होती है। इसका सेवन हृदय की सुरक्षा और संरक्षण में मदद कर सकता है।

रक्त संचार को सुधारें: यह आयुर्वेदिक औषधि रक्त संचार को सुधारने में मदद कर सकती है। इसका सेवन रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देकर रक्तचाप को नियंत्रित कर सकता है।

लिपिड प्रोफाइल को संतुलित करें: अर्जुनारिष्ट में मौजूद अर्जुन की छाल के गुण यह सुझाव देते हैं कि यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने और लिपिड प्रोफाइल को संतुलित करने में मदद कर सकता है।

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